मणि की रौशनी कहीं कर न दे अँधा, आंखों पर पट्टी बांध होती है युगों से कैद देवता की पूजा
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कोलकाता टाइम्स
उत्तराखंड के चमोली जिले में देवाल के वांण गांव में एक एेसा मंदिर है जहां महिला और पुरुष किसी भी श्रद्धालु को मंदिर के अन्दर जाने की इजाजत नहीं है। यहां के पुजारी भी भगवान के दर्शन नहीं कर सकते हैं। उनको आंखों पर पट्टी बांध कर ही पूजा करनी पड़ती है। मंदिर में नागराज और उनकी अद्भुत मणि विराजमान है। जोकि पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय है।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि लाटू देवता उत्तराखंड की आराध्या नंदा देवी के धर्म भाई हैं। प्रत्येक 12 वर्षों पर होने वाली सबसे लंबी पैदल यात्रा श्रीनंदा देवी की राज यात्रा का बारहवां पड़ाव है। वह अपनी बहन नंदा देवी का स्वागत वांण से लेकर हेमकुंड तक करते हैं। मंदिर के पट साल में केवल एक ही दिन वैशाख मास की पूर्णिमा पर खोले जाते हैं। इस दिन पुजारी आंख-मुंह पर पट्टी बांधकर ही द्वार को खोलते हैं। भक्त लोग दूर से ही भगवान के दर्शन करते हैं। उसके बाद विष्णु सहस्रनाम और भगवती चंडिका पाठ का आयोजन होता है।
वहां के लोगों का कहना है कि मंदिर में नागराज अपनी अद्भुत मणि के साथ रहते हैं। और आम इंसान इनके दर्शन नहीं कर सकता। पंडित भी नाग देवता के उस रुप को देखकर डर न जाएं इसलिए वह आखों पर पट्टी बांधते हैं। यह भी कहा जाता है कि मणि की तेज़ रोशनी कहीं व्यक्ति को अंधा न बना दें इसलिए आंखे बंद कर दी जाती है।