भारत के लिए मिशाल है द: कोरिया का यह फैसला : भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व राष्ट्रपति पार्क ग्यून को 25 वर्ष की जेल
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कोलकाता टाइम्स
दक्षिण कोरिया की एक अदालत का फैशला भारत के लिए मिशाल बन गया है। अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व राष्ट्रपति पार्क ग्यून हे को 25 वर्ष के कारावास की सजा सुनायी है।वहीं भ्रष्टाचार भारत के लिए अब आम बात बन चुकी है। सैंकड़ों राजनेता से लेकर सरकारी अफसर फंसे हैं भ्रष्टाचार के आरोप में। कई तो देश को लूट विदेश भाग चुके हैं। भारत ना ही ऐसे लोगों पर नकेल कस पा रही है ना ही क़ानूनी व्यबस्था।
भ्रष्टाचार के मामले में पूर्व राष्ट्रपति पार्क ग्यून हे को 2017 में सत्ता भी गंवानी पड़ी थी। पार्क लोकतांत्रिक तरीके से निर्वाचित दक्षिण कोरिया की पहली राष्ट्रपति हैं जिन्हें संवैधानिक अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में लिप्त होने के कारण पद से हटा दिया था।
सोल की अदालत ने 66 वर्षीय पार्क को अपनी दोस्त चोई सून सिल के साथ सांठगांठ करके उनके परिवार तथा उनके गैर लाभकारी संस्थानों को अरबों वोन का लाभ पहुंचाने का दोषी पाया। पीठासीन न्यायाधीश किम मून सुक ने कहा, राजनीतिक तथा वित्तीय शक्तियों के बीच इस तरह के अनैतिक व्यवहार लोकतंत्र की मूल धारणा को नुकसान पहुंचाते हैं तथा बाजार की अर्थव्यवस्था में विकृतियां पैदा करते हैं। इससे लोगों को भारी नुकसान तथा समाज में अविश्वास पैदा होता है। इस वजह से सख्त सजा दिया जाना अनिवार्य है।
गौरतलब है कि पार्क 31 मार्च 2017 से जेल में बंद हैं, लेकिन उन्होंने अदालत में कुछ भी गलत करने से इनकार किया है। वह अपने पिता द्वारा तीन दशक बाद राष्ट्रपति पद छोडऩे के बाद वर्ष 2012 में देश की पहली महिला राष्ट्रपति बनी थीं।