November 23, 2024     Select Language
Home Archive by category साहित्य व कला (Page 11)

साहित्य व कला

Editor Choice Hindi KT Popular धर्म साहित्य व कला

महिलाओं का कौशल और रोजगार: भारत की प्रगति के आधार
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भारत में अधिकांश महिलाओं को न तो सामाजिक सुरक्षा और न ही नौकरी की सुरक्षा। आमतौर पर महिलाओं को कम-कौशल और कम वेतन वाले काम में लगाया जाता है। कौशल कार्यक्रमों में जीवन कौशल, संचार क्षमता, निर्णय लेने की क्षमता और आत्मविश्वास को एकीकृत करने की भी आवश्यकता है। इसके अलावा, सामाजिक-आर्थिक समर्थन, Continue Reading
Editor Choice Hindi KT Popular धर्म साहित्य व कला

एक मजबूत, शक्तिशाली और विकासशील भारत
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–सत्यवान ‘सौरभ’ (उदीयमान प्रबल शक्ति के बावजूद भारत अक्सर वैचारिक ऊहापोह में घिरा रहता है. यही कारण है कि देश के उज्ज्वल भविष्य और वास्तविकता में अंतर दिखाई देता है. हालांकि भारत महाशक्ति बनने की प्रक्रिया में प्रमुख बिंदुओं पर खरा उतरता है, लेकिन व्यापक अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में घरेलू मुद्दों के कारण वह कमजोर पड़ […]Continue Reading
Editor Choice Hindi KT Popular धर्म साहित्य व कला

जिंदगी मै रंग भरती बिटिया, चूल्हे-चौके से सिविल सेवा के शीर्ष तक
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-प्रियंका ‘सौरभ’ श्रुति शर्मा, अंकिता अग्रवाल तथा गामिनी सिंगला संघ लोक सेवा द्वारा घोषित सिविल सेवा परीक्षा 2021 में क्रमश: प्रथम, द्वितीय और तृतीय रैंक प्राप्त किया है। लड़कियों ने आज हर क्षेत्र में डंका बजा रखा है। पढ़ाई से लेकर नौकरी और व्यवसाय से लेकर अंतरिक्ष में छलांग लगाने के मामले में लड़कियों ने […]Continue Reading
Editor Choice Hindi KT Popular दैनिक साहित्य व कला

चिंता का सबब बनता गिरता हुआ रुपया  
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सत्यवान ‘सौरभ’ रुपये के मूल्यह्रास का मतलब है कि डॉलर के मुकाबले रुपया कम मूल्यवान हो गया है। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया 77.44 के सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया। सख्त वैश्विक मौद्रिक नीति, अमेरिकी डॉलर की मजबूती और जोखिम से बचने, और उच्च चालू खाता घाटे से भारतीय रुपये के लिए गिरावट […]Continue Reading
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टूट रहे परिवार !
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सत्यवान ‘सौरभ’ बदल गए परिवार के, अब तो सौरभ भाव ! रिश्ते-नातों में नहीं,  पहले जैसे चाव !! टूट रहे परिवार हैं, बदल रहे मनभाव ! प्रेम जताते ग़ैर से, अपनों से अलगाव !! गलती है ये खून की, या संस्कारी भूल ! अपने काँटों से लगे, और पराये फूल !! रहना मिल परिवार से, […]Continue Reading
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अगर जीतना स्वयं को, बन सौरभ तू बुद्ध !!
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(बुद्ध का अभ्यास कहता है चरम तरीकों से बचें और तर्कसंगतता के बीच के रास्ते पर चलना समय की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, चल रहे यूक्रेन युद्ध जहां रूस और नाटो अपने स्वयं के लक्ष्यों को प्राप्त करने की कोशिश कर रहे हैं।) -सत्यवान ‘सौरभ’ बौद्ध धर्म का एक मजबूत व्यक्तिवादी घटक है: जीवन […]Continue Reading
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सूना-सूना लग रहा, बिन पेड़ों के गाँव ।
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सूना-सूना लग रहा, बिन पेड़ों के गाँव । पंछी उड़े प्रदेश को, बांधे अपने पाँव ।। -सत्यवान ‘सौरभ’ पक्षियों को पर्यावरण की स्थिति के सबसे महत्वपूर्ण संकेतकों में से एक माना जाता है। क्योंकि वे आवास परिवर्तन के प्रति संवेदनशील हैं और पक्षी पारिस्थितिकीविद् के पसंदीदा उपकरण हैं। पक्षियों की आबादी में परिवर्तन अक्सर पर्यावरणीय […]Continue Reading
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थाने इज्जत लूटते, देख रही सरकार। रामराज की बात तब, लगती है बेकार।।
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(पुलिस थाने के स्तर पर कुकर्म हो तो क्या करें?  नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के हिसाब से बलात्कार के कुल दर्ज मामलों में, प्रत्येक पांच मामलें में से सिर्फ एक में ही बलात्कारी को सजा मिल पाती है; बाकी के सारे बलात्कारी ‘बाइज्जत बरी‘ हो जाते हैं।) -सत्यवान ‘सौरभ’ भारत में एक पुलिस […]Continue Reading
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पंछी डूबे दर्द में
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-सत्यवान ‘सौरभ’ बदल रहे हर रोज ही, हैं मौसम के रूप । सर्दी के मौसम हुई, गर्मी जैसी धूप ।। ●●● सूनी बगिया देखकर, ‘तितली है खामोश’ । जुगनूं की बारात से, गायब है अब जोश ।। ●●● आती है अब है कहाँ, कोयल की आवाज़ । बूढा पीपल सूखकर, ठूंठ खड़ा है आज ।। […]Continue Reading
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कब गीता ने ये कहा, बोली कहाँ कुरान । 
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सत्यवान ‘सौरभ’ ●●● जातिवाद और धर्म का, ये कैसा है दौर । जय भारत,जय हिन्द में, गूँज रहा कुछ और ।। ●●● कब गीता ने ये कहा, बोली कहाँ कुरान । करो धर्म के नाम पर, धरती लहूलुहान ।। ●●● गैया हिन्दू हो गई, औ’ बकरा इस्लाम । पशुओं के भी हो गए, जाति-धर्म से […]Continue Reading