November 23, 2024     Select Language
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साहित्य व कला

Editor Choice Hindi KT Popular धर्म साहित्य व कला

पत्रकारों के लिए भारत दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक
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प्रेस स्वतंत्रता दिवस एक स्वतंत्र प्रेस हमारे लोकतांत्रिक समाजों में एक आवश्यक भूमिका निभाता है जैसे -सरकारों को जवाबदेह ठहराना, भ्रष्टाचार, अन्याय और सत्ता के दुरुपयोग को उजागर करना, समाजों को सूचित करना और उन्हें प्रभावित करने वाले निर्णयों और नीतियों में शामिल होना। वर्ल्ड प्रेस फ़्रीडम Continue Reading
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माँ किस के भाग है
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सलिल सरोज    आप ही सिपहसालार और आप ही सिहाग* हैं फिर कौन है दूसरा , जिस ने लगाई ये आग है    1 हमें  समझाने  आते  हैं  सब लोग  बारी- बारी जो देखते नहीं, अपने गिरेबाँ में कितने दाग हैं    2 चाँदनी  उतरा  करती  थी जहाँ  पूरे शबाब पे वो  नदियाँ  अब उल्टियाँ […]Continue Reading
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चीन-पाकिस्तान से निपटने के लिए हमें सीमाओं को मजबूत रखना होगा
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-सत्यवान ‘सौरभ’ 1970 और 80 के दशक में चीन और पाकिस्तान के बीच संबंध विकसित हुए। इनसे मुकाबला करना भारत की पहल था। चीन-पाकिस्तान की धुरी दो मोर्चों पर युद्ध की संभावना को खोलता है, इसलिए  भारत को सीमाओं पर अपने सुरक्षा तंत्र को मजबूत रखना अत्यंत जरुरी है। कुछ समय पहले तक, दो मोर्चों […]Continue Reading
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भारत छोड़ो आंदोलन, पूर्ण स्वतंत्रता के विरोधी, दबे-कुचले वर्गों के मसीहा अंबेडकर
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-प्रियंका ‘सौरभ’ ( अम्बेडकर जी ने कांग्रेस के पूर्ण स्वतंत्रता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। उन्होंने दलितों के उत्थान हेतु उच्च वर्गीय हिन्दुओं से ज़्यादा अंग्रेज़ों को सहायक माना। देश व दलितों के हितो के बीच टकराव की स्थिति में उन्होंने दलितों के हितों को वरीयता देने की बात कही। ) देश बी आर अंबेडकर […]Continue Reading
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घर का वित्त प्रबंधन करने वाली महिलाएं देश की अर्थव्यवस्था में क्यों नहीं ?
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प्रियंका ‘सौरभ’ देश में नौकरी पाने की आकांक्षा के बजाय अब स्टार्ट-अप और रोज़गार सृजन की ओर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। युवा उद्यमियों के नेतृत्व में देश में हज़ारों महत्त्वाकांक्षी स्टार्टअप्स को प्रेरित किया जा रहा है। हालाँकि उद्यमिता को प्रायः पुरुष प्रधान कार्यक्षेत्र समझकर महिलाओं की अनदेखी की जाती है। भारत को […]Continue Reading
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क्या भारत में दो टाइम ज़ोन होने चाहिये?
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  प्रियंका ‘सौरभ’ साल 2002 से संसद के हर सत्र में बार-बार दोहराया गया सवाल है; क्या भारत में दो समय क्षेत्र बनाने का प्रस्ताव है और इसे लागू करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? सबसे पहले  ये सवाल मार्च 2002 में उठाया गया था, उस वर्ष के अगस्त में प्रश्न को प्रभावी […]Continue Reading
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आखिर कैसे भगत सिंह ‘आप के’ लिए एक नायक बन गए?
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-प्रियंका ‘सौरभ’ पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के कार्यालय में भगत सिंह की एक तस्वीर विवादों में घिर गई है। आप पार्टी के नए मुख्यमंत्री ने कहा है कि वह एक समतावादी पंजाब बनाने का सपना देखते हैं जिसका सपना भगत सिंह ने देखा था और जिसके लिए उन्होंने अपना जीवन बलिदान कर दिया। हालांकि,मुख्य […]Continue Reading
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‘मोबाइल ऐप’ का संसार, दोधारी तलवार।
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-सत्यवान ‘सौरभ’ आज ‘मोबाइल ऐप स्मार्टफोन यूजर्स’ की जिंदगी का अहम हिस्सा बन गए हैं। गाँव से शहर तक लगभग हर व्यक्ति इन पर आश्रित नज़र आता है। देखें तो भारत में एक स्मार्टफोन उपयोगकर्ता स्मार्टफोन डिवाइस पर (विशेष रूप से मोबाइल ऐप पर)  दिन में लगभग 3.5 घंटे खर्च करता है। हर दिन नए-नए […]Continue Reading
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संवैधानिक पदों पर नियुक्तियों का राजनीतिकरण
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प्रियंका ‘सौरभ’ आज के दौर में राजनीतिकरण की एक ऐसी प्रथा शुरू हो गयी है जिसमें चुनाव जीतने वाला राजनीतिक दल अपने कार्यकर्ताओं और  सक्रिय समर्थकों को संवैधानिक या सरकारी पदों पर नियुक्ति के द्वारा पुरस्कृत कर रहा है और अन्य एहसानों के साथ उसे अपने सरंक्षण में रख रहा है। ऐसा होने से संवैधानिक […]Continue Reading
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महात्मा गांधी- मानवता के प्रतीक
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सत्यवान शौरभ द टाइम्स (लंदन) ने एक बार लिखा था कि भारत के अलावा कोई भी देश और कोई धर्म नहीं बल्कि हिंदू धर्म ही एक गांधी को जन्म दे सकता था। वह मानवता के अब तक के सबसे महान अधिकार से संबंधित थे। भारत, मानव सभ्यता को पालने में से अग्रगणी रहा है जिसने […]Continue Reading