चंदन भी अकुला गया, देख जड़ों में नाग !!
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आँखों का पानी मरा, भरा मनों में पाप ! प्रेम भाव गायब हुए, अपनापा अभिशाप !! ★★★★ दरपन रूठे से लगे, सूने हैं घर द्वार ! तकरारें दीवार से, आँगन पड़ी दरार !! ★★★★ हुआ विरोधी आचरण, लज्जा कोसों दूर ! हुई कामना निरंकुश, ईर्ष्या है भरपूर !! ★★★★ पैसों से रिश्तों जुड़े, देंगे क्या […]Continue Reading