November 23, 2024     Select Language
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साहित्य व कला

Editor Choice Hindi KT Popular साहित्य व कला स्वास्थ्य

गाय-भैंसों को भी लग सकती है लू,  गर्मियों में ऐसे करें पशुओं की देखभाल
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डॉ. सत्यवान सौरभ बढ़ते पारे ने दुधारू पशुओं पर बहुत दबाव डाला है और यह सबसे बुरा तब होगा जब सापेक्ष आर्द्रता 90% से अधिक हो जाएगी। मौजूदा परिस्थितियों में दूध का उत्पादन कम फीड इनटेक और अतिरिक्त हीट लोड के कारण भी कम हुआ है। हरे चारे की मात्रा बढ़ानी चाहिए और लंबे चारे को खिलाने से […]Continue Reading
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पुरस्कारों की बंदर बांट
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डॉ. सत्यवान सौरभ*  पिछले दशकों में पुरस्कारों की बंदर बांट कथित साहित्यकारों, कलाकारों और अपने लोगों को प्रस्तुत करने के लिए विशेष साहित्यकार, पुरोधा कलाकार, साहित्य ऋषि जैसी कई श्रेणियां बनी है। जिसके तहत विभिन्न अकादमियां एक दूसरे के अध्यक्षों को पुरस्कृत कर रही है और निर्णायकों को भी सम्मान दिलवा रही है। इन पुरस्कारों […]Continue Reading
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पुरुष संवेदनशीलता के बिना महिला सशक्तिकरण अधूरा
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-प्रियंका सौरभ यह कहना कि केवल महिलाएं ही इस मानसिकता की शिकार हैं, आधा सच होगा। हाल के दिनों में, पुरुषों पर पितृसत्ता के प्रभाव के संबंध में अधिक जागरूकता उत्पन्न हुई है, विशेष रूप से अनुचित मांग को देखते हुए जिसे उन्हें पूरा करना होता है। प्राचीन काल से, हमारी अधिकांश कहानियाँ एक मजबूत […]Continue Reading
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वोटर लिस्ट में बढ़ती महिलाएं संसद में कब बढ़ेगी?
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-प्रियंका सौरभ महिलाओं का वोट 48%, फिर सीटें 14% ही क्‍यों? भारत की महिला मतदाता; एक ताकत है जिसे गिना जाना चाहिए।  राजनीतिक दल कल्याणकारी योजनाओं और रियायतों के वादों के साथ महिलाओं के वोट हासिल करने की होड़ में हैं, लेकिन सच्चा सशक्तिकरण अभी भी मायावी है। जब तक राजनीतिक पार्टियां अधिक से अधिक महिलाओं को टिकट नहीं […]Continue Reading
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बिना स्वतंत्र मीडिया के स्वस्थ लोकतंत्र को सुनिश्चित कर पाना संभव नहीं
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-प्रियंका सौरभ राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते राजनेताओं और मीडिया घरानों के बीच सांठगांठ के परिणामस्वरूप अक्सर पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग होती है और असहमति की आवाज़ों का दमन होता है। धमकियाँ और हमले: पत्रकारों को शारीरिक हिंसा, उत्पीड़न और धमकी का सामना करना पड़ता है, खासकर जब वे भ्रष्टाचार, मानवाधिकार उल्लंघन या सांप्रदायिक तनाव जैसे संवेदनशील मुद्दों […]Continue Reading
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विज्ञान और धर्म संसार के दो शासक
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-प्रियंका सौरभ समाज में धर्म और विज्ञान की भूमिका प्रभावशाली है। विज्ञान और धर्म के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि पहले का संबंध प्राकृतिक दुनिया से है जबकि दूसरे का संबंध प्राकृतिक और अलौकिक दोनों संस्थाओं से है। विज्ञान तथ्यों की उचित प्रमाण एवं प्रमाण सहित व्याख्या करता है। यह हमेशा सवालों के […]Continue Reading
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खतरे में है भारत की पशुधन अर्थव्यवस्था
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-डॉ. सत्यवान सौरभ सरकार की अपनी नीति पर भ्रम के कारण, गरीबों की नई अर्थव्यवस्था गंभीर खतरे में है। चूँकि भारत बेरोजगारी की चपेट में है, पशुधन क्षेत्र इस संकट से निपटने के लिए एक स्वाभाविक विकल्प हो सकता था। लेकिन अगर एक किसान मवेशी बेचने के बारे में आश्वस्त नहीं है, और मवेशियों के […]Continue Reading
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भारत में अंगदान की कमी से जा रही लोगों की जान  
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डॉ सत्यवान सौरभ एक मृत अंग दाता आठ लोगों की जान बचा सकता है। दान की गई दो किडनी दो रोगियों को डायलिसिस उपचार से मुक्त कर सकती हैं। दान किए गए एक लीवर को प्रतीक्षा सूची के दो रोगियों के बीच विभाजित किया जा सकता है। दो दान किए गए फेफड़ों का मतलब है […]Continue Reading
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मानवता को शर्मसार करती मानव तस्करी
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 प्रियंका सौरभ मावनता को शर्मसार कर देने वाली मानव तस्करी सभ्य समाज के माथे पर बदनुमा दाग है, मानव तस्करी आधुनिक दुनिया में होने वाले सबसे विनाशकारी मानवाधिकार उल्लंघनों में से एक है। हर 30 सेकंड में एक व्यक्ति या बच्चे की तस्करी की जाती है, 3.8 मिलियन वयस्कों की तस्करी की जाती है और […]Continue Reading
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शुरू होनी चाहिए पर्यावरणीय मुद्दों को मुख्यधारा में लाने की चुनावी प्रथाएं
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-प्रियंका सौरभ राजनीतिक दलों को जलवायु परिवर्तन पर सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए स्पष्ट रूप से कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। राजनीतिक दलों को उन कदमों के बारे में बताना चाहिए जो वे भारत पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने के लिए उठाएंगे। यदि भारत […]Continue Reading