November 23, 2024     Select Language
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साहित्य व कला

Editor Choice Hindi KT Popular धर्म साहित्य व कला

मंगल ग्रह पर पहुँचना आसान लेकिन कठिन ‘खुले में शौच’ का निपटान
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–डॉ. सत्यवान सौरभ भारत दुनिया का चौथा देश (रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ के बाद) और अंतरिक्ष में मंगल जांच शुरू करने वाला एकमात्र उभरता हुआ देश बन गया। लेकिन यह 50% से कम स्वच्छता कवरेज वाले 45 विकासशील देशों के समूह का हिस्सा बना हुआ है,जहां कई नागरिक या तो शौचालय तक […]Continue Reading
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सावधान! खुलने वाले है घोषणा पत्र यानी वादों के पिटारे
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-प्रियंका सौरभ भारत में चुनावी वर्ष नज़दीक आते ही राजनीतिक पार्टियाँ सत्ता में आने के लिये लोक-लुभावनी घोषणाएँ करने लगती हैं, जैसे मुफ्त में बिजली-पानी, लैपटॉप, साइकिल आदि देने के वायदे करना आदि। यह प्रचलन लोकतंत्र में चुनाव लड़ने के लिये सभी को समान अवसर मिलने के मूल्य के उल्लंघन को तो दर्शाता ही है, साथ ही सत्ता में […]Continue Reading
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“आया राम गया राम” ने लंबे समय से भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को प्रभावित किया है।
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-डॉ. सत्यवान सौरभ दल-बदल विरोधी कानून सरकार स्थिरता में कारगर होने की बजाय खरीद फरोख्त का तरीका है। ” दल-बदल क़ानून के दायरे से बचने के लिए विधायक या सांसद इस्तीफा दे रहे हैं. लेकिन ऐसा प्रावधान किया जाना चाहिए कि जिस पीरियड के लिए वो चुने गए थे, अगर उससे पहले उन्होंने स्वेच्छा से […]Continue Reading
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राम मंदिर: सियासी मंच या आस्था का उत्सव  
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–प्रियंका सौरभ राजनीति अपनी जगह है लेकिन राम मंदिर करोडों भारतीयों के लिए आस्था का विषय है। राजनीति कैसे साधारण विषयों को भी उलझाकर मुद्दे में तब्दील कर देती है, रामजन्मभूमि का विवाद इसका उदाहरण है। आज के भारत का मिजाज़, अयोध्या में स्पष्ट दिखता है। आज यहां प्रगति का उत्सव है, तो कुछ दिन […]Continue Reading
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पर्यावरण एवं स्वास्थ्य को निगलते रासायनिक उर्वरक
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–डॉ. सत्यवान सौरभ रासायनिक उर्वरकों के दुष्प्रभावों को हल करने में लगेंगे कई साल, वैकल्पिक और टिकाऊ तरीकों पर विचार करना बुद्धिमानी। किसानों को उर्वरकों के उपयोग की सर्वोत्तम प्रक्रियाओं के बारे में शिक्षित करें, जिसमें सही मात्रा, समय और उपयोग की तकनीकें शामिल हैं। जो किसान अधिक ज्ञान प्राप्त करेंगे वे निर्णय लेने में बेहतर ढंग से […]Continue Reading
Editor Choice Hindi KT Popular दैनिक साहित्य व कला

बच्चे मिट्टी के घड़े, अभिभावक कुम्हार। जैसा चाहो वो बने, दे दो जो आकार।।
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-डॉ सत्यवान सौरभ बच्चे कच्ची मिट्टी के समान होते हैं। उन्हें जैसा आकार दो वे वैसा ढल जाते हैं। उनके मन में आर्थिक रूप से कमजोर या अन्य धर्म या जाति के विद्यार्थियों के लिए कोई भेदभाव नहीं होता। वे अपने आसपास के माहौल से ही सीखते हैं। जैसा व्यवहार उन्हें अपने आसपास मिलता है […]Continue Reading
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समान नागरिक संहिता देश और समाज के विकास का महत्वपूर्ण आधार बनेगी।
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-प्रियंका सौरभ यूसीसी देश की राजनीति के सबसे विवादित मुद्दों में रहा है। हालांकि संविधान में भी नीति निर्देशक तत्वों के रूप में इसका उल्लेख है। समानता एक सार्वभौमिक, सार्वकालिक एवं सार्वदेशिक लोकतांत्रिक मूल्य है। इस मूल्य की प्रतिष्ठापना के लिये समान कानून की अपेक्षा है। इस लिहाज से राजनीति की सभी धाराएं इस बात […]Continue Reading
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अपने-अपने भारत रत्न
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-डॉ. सत्यवान सौरभ भारत रत्न पुरस्कार की चयन पद्धति क्या हो, निर्णय की प्रणाली क्या हो, इसमें कौन-कौन से लोग शामिल होने चाहिए? अभी इस पर बात नहीं हो रही है। अब तक जिन हस्तियों को भारत रत्न मिल चुका है। हम उनकी प्रतिष्ठा पर सवाल नहीं उठाते। लेकिन एक प्रश्न जरूर है कि माँ […]Continue Reading
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कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा आज का भारत
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-प्रियंका सौरभ सरकार का क़र्ज़ इस बात पर निर्भर करता है कि उसकी आमदनी कितनी है और ख़र्चे कितने हैं। अगर ख़र्चा आमदनी से ज़्यादा है तो सरकार को उधार या क़र्ज़ लेना पड़ता है। इसका सीधा असर सरकार के राजकोषीय घाटे पर पड़ता है। आज जो इतना कर्ज़ लिया जा रहा है इसका बोझ […]Continue Reading
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रखना सदा सहेजकर, दिल में हिंदुस्तान।।
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-डॉ सत्यवान ‘सौरभ’, फिल्म-खेल का ही चढ़ा, है सब पे उन्माद। फौजी मरता देश पर,कौन करे अब याद।। ●●● आज़ादी अब रो रही, देश हुआ बेचैन। देख शहीदों के भरे, दुःख से यारों नैन।। ●●● मैंने उनको भेंट की, दिवाली और ईद। सीमा पर मर मिट गए, जितने वीर शहीद।। ●●● काम करो इंग्लैंड में, […]Continue Reading