November 23, 2024     Select Language
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साहित्य व कला

Editor Choice Hindi KT Popular धर्म साहित्य व कला

फिर से स्वर्ग बन रहा है हमारा कश्मीर
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-प्रियंका सौरभ अनुच्छेद 370 निरस्त होने के बाद, कश्मीरी भारतीयों की नव स्थापित फर्मों में काम कर रहें हैं और अच्छा पैसा कमा रहें हैं। अधिक नौकरियाँ पैदा करने से अनिवार्य रूप से अपराध कम हो रहें है।  कश्मीरी अपनी जमीन पट्टे पर देकर आर्थिक रूप से सुदृढ़ हो रहें है। निजी व्यापार मालिक कश्मीर […]Continue Reading
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क्यों नहीं अभिभावकों को सरकारी स्कूलों पर भरोसा ?
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–प्रियंका सौरभ हालिया अध्ययन ने पुष्टि की है कि शिक्षा की खराब गुणवत्ता के कारण माता-पिता को सरकारी स्कूलों पर भरोसा नहीं है और वे अपने बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला दिलाना पसंद करते हैं, भले ही इसके लिए उन्हें ट्यूशन और अन्य फीस पर काफी अधिक खर्च करना पड़े। आज देश भर के सरकारी […]Continue Reading
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मोबाइल बन रहे रिश्तों में दरार की वजह? मोबाइल फोन के अनुचित उपयोग के कारण आपसी रिश्तों को हो रहा नुकसान
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– प्रियंका सौरभ सोचिए आज क्यों मोबाइल बन रहे रिश्तों में दरार की वजह? कोई माने या न माने, वास्तविकता में मोबाइल के हद से ज्यादा उपयोग से सामाजिक रिश्तों में हम सब की दिक्कतें बढ़ी हैं। आज के समय में एक ही घर में रह रहे लोग एक-दूसरे से बातचीत करने के लिए भी […]Continue Reading
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‘सनातन धर्म’ के बदलते अर्थ
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डॉ सत्यवान सौरभ  “सनातन धर्म” शब्द को कैसे हेरफेर और हथियार बनाया गया है और हिंदू धर्म के ढांचे के भीतर जाति-विशेषाधिकार प्राप्त हिंदुओं की जाति भेदभाव को संबोधित करने में क्या जिम्मेदारियां हैं?  ये सोचने का विषय है।  सनातन धर्म शाश्वत, कालातीत और अपरिवर्तनीय परंपराओं का प्रतिनिधित्व करता है जो भारत-खंड (भारतीय उपमहाद्वीप) के भूभाग में […]Continue Reading
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चिंताजनक है अखबारों और लेखकों की स्थिति* 
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-डॉ सत्यवान सौरभ समाचार पत्र और यहां तक कि लेखकों को भी अस्तित्व बचाने के लिए गूगल व फे़सबुक को मात देना होगा। बदहाल होती स्थिति पर सवाल यह है- वे ऐसा कैसे करेंगे? सबसे महत्वपूर्ण कारक है न्यूज़ कैरियर की बढ़ोत्तरी- गूगल, फे़सबुक और बाकी दूसरे। एक तरफ वे किसी अन्य द्वारा उत्पादित समाचार ले लेते […]Continue Reading
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बदलती रामलीला: आस्था में अश्लीलता का तड़का
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-डॉ सत्यवान सौरभ जब आस्था में अश्लीलता का तड़का लगा दिया जाता है तो वह न सिर्फ उपहास का कारण बन जाती है बल्कि बहुसंख्यक लोगों की भावनाएं भी आहत होती हैं। मर्यादा पुरुषोत्तम राम का चरित्र समाज को प्रेम, उदारता, सम्मान व सद्भाव का संदेश देता है। पर अफसोस, राम के चरित्र व आदर्शों […]Continue Reading
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संबंधों के बीच पिसते खून के रिश्ते
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-प्रियंका सौरभ आज हम में से बहुतों के लिए खून के रिश्तों का कोई महत्त्व नहीं। ऐसे लोग संबंधों को महत्त्व देने लगे हैं। और आश्चर्य की बात ये कि ऐसा उन लोगों के बीच भी होने लगा है जिनका रिश्ता पावनता के साथ आपस में जोड़ा गया है। वैसे तो हमारे सामाजिक संबंधों और […]Continue Reading
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भौतिकता की चाह में पीछे छूटते रिश्ते
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प्रियंका सौरभ  एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी, जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते हैं और हार जाओ तो अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं। रिश्तों के प्रति इंसान को जागरूक होना चाहिए तथा रिश्तों की अहमियत को पहचाना चाहिए। जो रिश्तों के अर्थ को समझ सकता है। वहीं रिश्तों को निभा सकता […]Continue Reading
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कन्या-पूजन नहीं बेटियों के प्रति दृष्टिकोण बदलने की जरूरत
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प्रियंका सौरभ नवरात्रि का पर्व नारी के सम्मान का प्रतीक है। नौ दिनों तक नवदुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना होती है। कहते हैं कि जिस घर में माता की पूजा होता है, वह सुख-समृद्धि बनी रहती है। देवी पूजा महज माता की प्रतिमा की पूजा मात्र नहीं है, बल्कि यह पर्व मां, बहन, बेटी […]Continue Reading
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‘दिखावा’ तेजी से फैलता एक सामाजिक रोग 
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–डॉ सत्यवान सौरभ समय के साथ बदलते समाज में दिखावे की प्रवृत्ति तेज़ी से बढ़ रही है। आजकल ज्य़ादातर लोग दूसरों के सामने अपनी नकली छवि पेश करते हैं। काफी हद तक ईएमआइ की सुविधाओं ने भी लोगों में दिखावे की इस आदत को बढ़ावा दिया है। दूसरे के पास कोई भी नई या महंगी […]Continue Reading