November 23, 2024     Select Language
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साहित्य व कला

Editor Choice Hindi KT Popular धर्म साहित्य व कला

पत्थर होती मानवीय संवेदना-प्रियंका सौरभ
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-प्रियंका सौरभ वह मानव जिसकी पहचान ही उसके मानवीय गुणों जैसे कि सहानुभूति, संवेदना, दुःख आदि होती है और यही गुण मनुष्य में न रहेंगे तो मानव और पशु में अंतर करना ही असंभव हो जायेगा। हमारे समाज में आये दिन जिस प्रकार की मानवता को शर्मसार करने वाली घटनाएं घटित हो रही है वह […]Continue Reading
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ओबीसी के नाम पर बेवक़ूफ़ बंनाने का ड्रामा
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-डॉ सत्यवान सौरभ कड़ों का अध्यन करें तो हम पाएंगे कि देश के कुल केंद्रीय विश्वविद्यालयों में अन्य पिछड़ा वर्ग में केवल 5 उप-कुलपति है। अगर रजिस्ट्रार देखें तो पिछड़े समाज के तीन हैं। देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर की तय सीटों की मात्र 4.5 प्रतिशत ही भरी गई हैं। अमूमन यही स्थिति एसोसिएट […]Continue Reading
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कम नियमों से ही होगा ‘विश्वास-आधारित शासन’
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– डॉo सत्यवान सौरभ बिल का उद्देश्य है कि कुछ अपराधों में मिलने वाली जेल की सजा को या तो पूरी तरह से खत्म कर दिया जाए या फिर जुर्माना लगाकर छोड़ दिया जाए। सरकार देश के लोगों और विभिन्न संस्थानों पर भरोसा करें, यही लोकतांत्रिक शासन की आधारशिला है। पुराने नियमों का अभी भी लागू रहना विश्वास […]Continue Reading
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क्या भ्रष्टाचार से निपटने में कारगर होगी बेसिक आय?
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–प्रियंका सौरभ   वर्तमान में, 1000 से अधिक केंद्र और राज्य सरकार की योजनाएं मौजूद हैं, जिनमें से अधिकांश भ्रष्टाचार से भरी हुई हैं। वर्तमान योजनाओं में लीकेज का स्तर अत्यधिक उच्च है और ऐसी योजनाओं का कार्यान्वयन भी ख़राब है। बेसिक आय इस ढेर सारे कार्यक्रमों की जगह ले सकता है,  जिससे इससे जुड़ी भ्रष्टता दूर […]Continue Reading
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स्कूलों में स्मार्ट फ़ोन के प्रयोग पर पाबन्दी की पुकार
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–डॉ सत्यवान सौरभ फायदों के बावजूद स्मार्टफोन जैसी डिजिटल तकनीकों का बढ़ता दुरूपयोग बच्चों को शिक्षा से दूर ले जा रहा है। किसी नशे की तरह बच्चे इसकी लत का शिकार बनते जा रहे हैं।  ऐसा कहा जाता है कि स्कूलों में स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लगाने से क्लास में अनुशासन बना रहेगा और बच्चों को […]Continue Reading
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कहाँ खड़े हैं आज हम?
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– डॉo सत्यवान सौरभ (विश्व की उदीयमान प्रबल शक्ति के बावजूद भारत अक्सर वैचारिक ऊहापोह में घिरा रहता है. यही कारण है कि देश के उज्ज्वल भविष्य और वास्तविकता में अंतर दिखाई देता है. हालांकि भारत महाशक्ति बनने की प्रक्रिया में प्रमुख बिंदुओं पर खरा उतरता है, लेकिन व्यापक अंतर्राष्ट्रीय संदर्भ में घरेलू मुद्दों के […]Continue Reading
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सांसदों और विधायकों के लिए ‘नो वर्क- नो पे’ की नीति लागू की जाए
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-प्रियंका सौरभ केवल राजनेताओं को ही मजा क्यों लेना चाहिए?  हम संसद में गतिरोध, व्यवधान देख रहे हैं और यह चलन बढ़ रहा है। राजनेता हमारे पैसे पर सवार हैं, अपना कर्तव्य पूरा नहीं कर रहे हैं, अपने निहित स्वार्थ के लिए संसद का कामकाज बंद कर रहे हैं, उन्हें बर्बाद किए गए समय के […]Continue Reading
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छुआछूत की बीमारी की तरह फैलती है हिंसा
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–डॉ सत्यवान सौरभ   हिंसा के शिकार लोगों को समझाना जरुरी है।  बदला लेने की मानसिकता नुक़सान करवाती है, ताकि वो फिर उसी हिंसक दुष्चक्र में न फंस जाएं।  कोई शराबी है या ड्रग का आदी है, तो उसकी इलाज करने में मदद की जाती है।  फिर उसे रोज़गार दिलाने की कोशिश होती है।  तभी कोई भी […]Continue Reading
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बेगानों से सोशल मीडिया के जरिये परवान चढ़ता प्रेम या फितूर
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-डॉ सत्यवान सौरभ इन घटनाक्रमों ने एक बार फिर से सोशल मीडिया की सामाजिकता को लेकर बहस तेज कर दी है। हाल की दोनों घटनाओं को छोड़ भी दें तो देश में हजारों किस्से ऐसे हैं कि जिनमें सोशल मीडिया के जरिये लड़कियों से छल किया गया। उन्हें लूटा गया और उनकी हत्या तक कर […]Continue Reading
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चीरहरण को देख कर, दरबारी सब मौन प्रश्न करे अँधराज पर, विदुर बने वो कौन
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प्रियंका सौरभ यहां बात सिर्फ आरोप-प्रत्‍यारोपों की नहीं है। सवाल सिस्‍टम के बड़े फेलियर का है। क्‍या सिर्फ वीडियो वायरल होने के बाद सरकार के संज्ञान में कोई घटना आएगी? उसका तंत्र क्‍या कर रहा है? क्‍यों दो महीने तक कोई कार्रवाई नहीं हुई? क्‍या लोगों की निशानदेही नहीं की जा सकती थी? ऐसे कई […]Continue Reading