January 19, 2025     Select Language
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साहित्य व कला

Editor Choice Hindi KT Popular धर्म साहित्य व कला

तू भी पायेगा कभी, फूलों की सौगात। धुन अपनी मत छोड़ना, सुधरेंगे हालात।।
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-डॉ सत्यवान सौरभ यदि सफलता अपेक्षा से अधिक समय लेती है तो इस दृढ़ विश्वास को चुनौती दी जा सकती है। लोग उनके कौशल और क्षमताओं पर संदेह करना शुरू कर सकते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास कम हो सकता है। भविष्य में उनकी सफलता को नुकसान हो सकता है क्योंकि वे आश्चर्यचकित होने लगते हैं […]Continue Reading
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भारत में विदेशी शिक्षण संस्थान नफ़ा या नुकसान
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-प्रियंका सौरभ विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में परिसर स्थापित करने की अनुमति देने का सरकार और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग का निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है। यह पहल न केवल हमारे छात्रों को वैश्विक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच प्रदान करेगी बल्कि संस्थानों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा भी पैदा करेगी। लेकिन नया नियम विदेशी संस्था को […]Continue Reading
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ग्रामीण चौपालों को लील गई राजनीति
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-डॉ सत्यवान सौरभ गांव मैं अब न तो पहले जैसे त्योहारों की रौनक है और न ही शादी के वक्त महिलाओं द्वारा गाए जाने गीत। यहां तक की मौत पर हर घर में छा जाने वाला शोक का स्वरूप बदल गया है। पहले गांव में किसी जवान की मौत हो जाने पर उसके अंतिम संस्कार […]Continue Reading
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लोकतंत्र के मंदिर की फीकी पड़ती चमक
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-प्रियंका सौरभ संसद में कामकाज न चलने तथा शोर-शराबे के कारण लोकतांत्रिक व्यवस्था से लोगों का विश्वास भी डिगता है। इसलिए यह बेहद जरूरी हो गया है कि संसद के सुचारू संचालन में बाधा बनने वाले नियमों में जल्द से जल्द सुधार किया जाए।  हमारे संसदीय लोकतंत्र के मूल्यों को बनाए रखने के लिए हमें […]Continue Reading
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भारत में बढ़ती बेरोजगारी, अर्थव्यवस्था पर भारी
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-डॉ सत्यवान सौरभ   स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे में सुधार से युवा श्रम शक्ति के लिए अधिक उत्पादक दिवस सुनिश्चित होंगे, इस प्रकार अर्थव्यवस्था की उत्पादकता में वृद्धि होगी। आयुष्मान भारत और राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना (एनएचपीएस) जैसी योजनाओं की सफलता जरूरी है। साथ ही एकीकृत बाल विकास (आईसीडीएस) कार्यक्रम के प्रभावी कार्यान्वयन के […]Continue Reading
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मंगल हो नववर्ष
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-डॉ सत्यवान सौरभ मिटे सभी की दूरियाँ, रहे न अब तकरार। नया साल जोड़े रहे, सभी दिलों के तार।। बाँट रहे शुभकामना, मंगल हो नववर्ष। आनंद उत्कर्ष बढ़े, हर चेहरे हो हर्ष।। माफ करो गलती सभी, रहे न मन पर धूल। महक उठे सारी दिशा, खिले प्रेम के फूल।। छोटी सी है जिंदगी, बैर भुलाये […]Continue Reading
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जाति व्यवस्था से ज्यादा हीन या श्रेष्ठ मानना एक समस्या है।
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-डॉ सत्यवान सौरभ जाति आधारित व्यवसाय कोई समस्या नहीं है लेकिन एक व्यवसाय को हीन या श्रेष्ठ मानना एक समस्या है। हर पेशे का सम्मान होना चाहिए। महात्मा गांधी की “ब्रेड लेबर” (हर किसी को कुछ शारीरिक श्रम करना चाहिए) और “ट्रस्टीशिप” (पूंजीपतियों का समाज के प्रति ऋण) की अवधारणा इसी पर आधारित है। इससे […]Continue Reading
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मन ही सब कुछ है। आपको क्या लगता है आप क्या बनेंगे?
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-डॉ सत्यवान सौरभ बुद्ध ने कहा कि – ‘सभी समस्याओं का कारण उत्साह है’ अर्थात इच्छा की अधिकता और इच्छा मन से आती है। इसलिए मन को नियंत्रित और संतुलित करना आवश्यक है। भारतीय संस्कृति और शास्त्र हमें अपने मन को नियंत्रित करने के तरीके सिखाते हैं। संतुलित मन के लिए प्राचीन संत वर्षों से […]Continue Reading
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अपनों से बेईमानी, पतन की निशानी।
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-डॉ सत्यवान सौरभ हम दूसरों की आर्थिक स्थिति पर ज्यादा ध्यान देते हैं। अपनी स्थिति से असंतुष्टि ही हमें बेईमानी की तरफ धकेलती है। गरीब लोग अमीर बनने के चक्कर में और अमीर लोग अधिक अमीर बनने के चक्कर में छोटा रास्ता पकड़ते हुए धड़ाधड़ सब कुछ पा लेना चाहते हैं। छोटे रास्ते का अंकुर […]Continue Reading
Editor Choice Hindi KT Popular दैनिक साहित्य व कला

भारतीय सशस्त्र बलों के बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण की आवश्यकता
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-प्रियंका सौरभ भारत के पास रक्षा उपकरणों के विनिर्माण के लिये एक उचित औद्योगिक आधार का अभाव है। हालाँकि तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में दो रक्षा क्षेत्र स्थापित किये गए हैं जो निजी क्षेत्र को परिचालन के लिये आधार प्रदान करेंगे। इन क्षेत्रों की स्थापना और विनिर्माण कार्य शुरू किये जाने के बाद पूरी रक्षा […]Continue Reading