May 20, 2024     Select Language
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साहित्य व कला

Editor Choice Hindi KT Popular धर्म साहित्य व कला

बिना स्वतंत्र मीडिया के स्वस्थ लोकतंत्र को सुनिश्चित कर पाना संभव नहीं
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-प्रियंका सौरभ राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते राजनेताओं और मीडिया घरानों के बीच सांठगांठ के परिणामस्वरूप अक्सर पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग होती है और असहमति की आवाज़ों का दमन होता है। धमकियाँ और हमले: पत्रकारों को शारीरिक हिंसा, उत्पीड़न और धमकी का सामना करना पड़ता है, खासकर जब वे भ्रष्टाचार, Continue Reading
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विज्ञान और धर्म संसार के दो शासक
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-प्रियंका सौरभ समाज में धर्म और विज्ञान की भूमिका प्रभावशाली है। विज्ञान और धर्म के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि पहले का संबंध प्राकृतिक दुनिया से है जबकि दूसरे का संबंध प्राकृतिक और अलौकिक दोनों संस्थाओं से है। विज्ञान तथ्यों की उचित प्रमाण एवं प्रमाण सहित व्याख्या करता है। यह हमेशा सवालों के […]Continue Reading
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खतरे में है भारत की पशुधन अर्थव्यवस्था
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-डॉ. सत्यवान सौरभ सरकार की अपनी नीति पर भ्रम के कारण, गरीबों की नई अर्थव्यवस्था गंभीर खतरे में है। चूँकि भारत बेरोजगारी की चपेट में है, पशुधन क्षेत्र इस संकट से निपटने के लिए एक स्वाभाविक विकल्प हो सकता था। लेकिन अगर एक किसान मवेशी बेचने के बारे में आश्वस्त नहीं है, और मवेशियों के […]Continue Reading
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भारत में अंगदान की कमी से जा रही लोगों की जान  
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डॉ सत्यवान सौरभ एक मृत अंग दाता आठ लोगों की जान बचा सकता है। दान की गई दो किडनी दो रोगियों को डायलिसिस उपचार से मुक्त कर सकती हैं। दान किए गए एक लीवर को प्रतीक्षा सूची के दो रोगियों के बीच विभाजित किया जा सकता है। दो दान किए गए फेफड़ों का मतलब है […]Continue Reading
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मानवता को शर्मसार करती मानव तस्करी
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 प्रियंका सौरभ मावनता को शर्मसार कर देने वाली मानव तस्करी सभ्य समाज के माथे पर बदनुमा दाग है, मानव तस्करी आधुनिक दुनिया में होने वाले सबसे विनाशकारी मानवाधिकार उल्लंघनों में से एक है। हर 30 सेकंड में एक व्यक्ति या बच्चे की तस्करी की जाती है, 3.8 मिलियन वयस्कों की तस्करी की जाती है और […]Continue Reading
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शुरू होनी चाहिए पर्यावरणीय मुद्दों को मुख्यधारा में लाने की चुनावी प्रथाएं
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-प्रियंका सौरभ राजनीतिक दलों को जलवायु परिवर्तन पर सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने और ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के लिए स्पष्ट रूप से कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। राजनीतिक दलों को उन कदमों के बारे में बताना चाहिए जो वे भारत पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को कम करने के लिए उठाएंगे। यदि भारत […]Continue Reading
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मंगल ग्रह पर पहुँचना आसान लेकिन कठिन ‘खुले में शौच’ का निपटान
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–डॉ. सत्यवान सौरभ भारत दुनिया का चौथा देश (रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ के बाद) और अंतरिक्ष में मंगल जांच शुरू करने वाला एकमात्र उभरता हुआ देश बन गया। लेकिन यह 50% से कम स्वच्छता कवरेज वाले 45 विकासशील देशों के समूह का हिस्सा बना हुआ है,जहां कई नागरिक या तो शौचालय तक […]Continue Reading
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सावधान! खुलने वाले है घोषणा पत्र यानी वादों के पिटारे
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-प्रियंका सौरभ भारत में चुनावी वर्ष नज़दीक आते ही राजनीतिक पार्टियाँ सत्ता में आने के लिये लोक-लुभावनी घोषणाएँ करने लगती हैं, जैसे मुफ्त में बिजली-पानी, लैपटॉप, साइकिल आदि देने के वायदे करना आदि। यह प्रचलन लोकतंत्र में चुनाव लड़ने के लिये सभी को समान अवसर मिलने के मूल्य के उल्लंघन को तो दर्शाता ही है, साथ ही सत्ता में […]Continue Reading
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“आया राम गया राम” ने लंबे समय से भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को प्रभावित किया है।
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-डॉ. सत्यवान सौरभ दल-बदल विरोधी कानून सरकार स्थिरता में कारगर होने की बजाय खरीद फरोख्त का तरीका है। ” दल-बदल क़ानून के दायरे से बचने के लिए विधायक या सांसद इस्तीफा दे रहे हैं. लेकिन ऐसा प्रावधान किया जाना चाहिए कि जिस पीरियड के लिए वो चुने गए थे, अगर उससे पहले उन्होंने स्वेच्छा से […]Continue Reading
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राम मंदिर: सियासी मंच या आस्था का उत्सव  
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–प्रियंका सौरभ राजनीति अपनी जगह है लेकिन राम मंदिर करोडों भारतीयों के लिए आस्था का विषय है। राजनीति कैसे साधारण विषयों को भी उलझाकर मुद्दे में तब्दील कर देती है, रामजन्मभूमि का विवाद इसका उदाहरण है। आज के भारत का मिजाज़, अयोध्या में स्पष्ट दिखता है। आज यहां प्रगति का उत्सव है, तो कुछ दिन […]Continue Reading