लाठियों की गड़गड़ाहट से यहां जुड़ते हैं दिल
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कोलकाता टाइम्स : बुंदेलखंड का दिवारी नृत्य ऐसी अनूठी परंपरा है जिसमें लाठियों की तड़तड़ाहट से दिल टूटते नहीं बल्कि जुड़ते हैं। गांवों में दशहरा के बाद इस नृत्य का अभ्यास शुरू हो जाता है। मोर पंखी लगाकर इस विधा के पारंगत युवा, वृद्ध, बच्चे 18 से 20 की संख्या में नृत्य शुरू करते हैं। ढोल Continue Reading