लोकतंत्र के मंदिर की फीकी पड़ती चमक
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-प्रियंका सौरभ संसद में कामकाज न चलने तथा शोर-शराबे के कारण लोकतांत्रिक व्यवस्था से लोगों का विश्वास भी डिगता है। इसलिए यह बेहद जरूरी हो गया है कि संसद के सुचारू संचालन में बाधा बनने वाले नियमों में जल्द से जल्द सुधार किया जाए। हमारे संसदीय लोकतंत्र के मूल्यों को बनाए रखने के लिए हमें […]Continue Reading