यूँ ही कातिल के हाथ में खंज़र नहीं आता
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सलिल सरोज इस तिश्नगी का कोई हल नज़र नहीं आता मेरा कोई रास्ता भी तो तेरे घर नहीं आता 1 जिसे छोड़ दिया, उसे बस छोड़ ही दिया फिर से मनाने का हमें हुनर नहीं आता 2 वो दरिया है तो उसे मौजों का गुरूर है हम समंदर हैं , हमें भी सबर […]Continue Reading