ई-वे बिल्स से बढ़ेगा GST रेवेन्यू
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नई दिल्ली : सरकार को उम्मीद है कि इलेक्ट्रॉनिक (E-way) बिल्स की शुरुआत के बाद गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (GST) कलेक्शन में 20-25 फीसदी की वृद्धि होगी। इससे माल के आवाजाही पर नजर रखी जा सकेगी और रेवेन्यू लीकेज को रोका जा सकेगा।
टैक्स नहीं चुका रहे हैं, क्योंकि GST के तहत आंशिक चोरी असंभव है, या तो आप 0 टैक्स देते हैं या फिर 100 फीसदी। ई-वे बिल वह तरीका है जिससे ऐसे लोगों को सिस्टम में लाया जा सकेगा। जिन राज्यों ने VAT के लिए ई-वे बिल्स को लागू किया था उनके सालाना कलेक्शन में 20-25 फीसदी की वृद्धि हुई थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमें राष्ट्रीय तौर पर ऐसी ही उम्मीद GST को लेकर भी है।’
17 राज्यों में पहले से ही किसी ना किसी रूप में ई-वे बिल्स मौजूद है, जिनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और कई पूर्वी राज्य शामिल हैं, लेकिन महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सहित 14 राज्य ऐसे हैं जो फरवरी में नए सिस्टम को अपनाएंगे। कुछ राज्यों के पास राज्य के भीतर और बाहर माल के मूवमेंट पर नजर रखने का सिस्टम मौजूद है। ई-वे बिल्स को जुलाई में GST की शुरुआत से ही लागू किया जाना था, लेकिन सरकार ने सिस्टम तैयार होने तक इसे टाल दिया था।
राष्ट्रीय ई-वे बिल्स 1 जनवरी तक तैयार हो जाएगा, कंपनियां 15 जनवरी से इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग टूल प्राप्त कर सकती हैं और 1 फरवरी से यह अनिवार्य होगा। अंतर्राज्यीय बिल्स को जून से अनिवार्य किया जाएगा। यह अलग-अलग राज्यों के ई-वे बिल्स के अंतर को दूर करेगा।
17 राज्यों में पहले से ही किसी ना किसी रूप में ई-वे बिल्स मौजूद है, जिनमें उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और कई पूर्वी राज्य शामिल हैं, लेकिन महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सहित 14 राज्य ऐसे हैं जो फरवरी में नए सिस्टम को अपनाएंगे। कुछ राज्यों के पास राज्य के भीतर और बाहर माल के मूवमेंट पर नजर रखने का सिस्टम मौजूद है। ई-वे बिल्स को जुलाई में GST की शुरुआत से ही लागू किया जाना था, लेकिन सरकार ने सिस्टम तैयार होने तक इसे टाल दिया था।
राष्ट्रीय ई-वे बिल्स 1 जनवरी तक तैयार हो जाएगा, कंपनियां 15 जनवरी से इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग टूल प्राप्त कर सकती हैं और 1 फरवरी से यह अनिवार्य होगा। अंतर्राज्यीय बिल्स को जून से अनिवार्य किया जाएगा। यह अलग-अलग राज्यों के ई-वे बिल्स के अंतर को दूर करेगा।