CWG : खाने को मोहताज बजरंग ने भारत को दिखाया सोने की चमक
बजरंग ने पुरुषों की 65 किलोग्राम वर्ग स्पर्धा के फाइनल में वेल्स के केन चैरिग को एकतरफा मुकाबले में 10-0 से शिकस्त दी।
लेकिन आपको बजरंग का ज़िन्दगी और खेल दोनों का सफर जानकर बड़ा अचरज होगा। उनके पिता बलवान पूनिया अपने समय के नामी पहलवान रहे। लेकिन गरीबी ने उनके करियर को आगे नहीं बढ़ने दिया। बजरंग ने भी जीवन गरीबी में शुरू की। बजरंग के पिता के पास भी अपने बेटे को घी खिलाने के पैसे नहीं होते थे। इसके लिए वो बस का किराया बचाकर साइकिल से चलने लगे. जो पैसे बचते, उसे वो अपने बेटे के खाने पर खर्च करते थे।
24 साल के बजरंग पूनिया ने दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में कुश्ती के गुर सीखे और अब वो देश का परचम लहरा रहे हैं। .