July 3, 2024     Select Language
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जिम्मेदारी निभाते ही भाग जायेगा तनाव 

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कोलकाता टाइम्स 
इंसान किसी क्षेत्र से जुड़ा  हो, जिम्मेदारियों को टालने  की आदत तनाव की सौगात साथ लाती है। यही वजह है कि अपने काम को संभालने और पूरा करने की डेडलाइंस यानी समय सीमा तय करना जरूरी है। साथ ही इन डेडलाइंस की योजना बनाना भी आवश्यक है।
बहाने नहीं रास्ते बनायें
ऑस्ट्रेलिया की जानी-मानी सामाजिक कार्यकर्ता जीन  बेडले  के मुताबिक-  जिम्मेदारी रास्ता  खोजती है और गैरजिम्मेदारी बहाने बनाती है। यानी अपना काम पूरा न करने की सोच आपको और उलझा कर रख देती है। यह उलझन होती है नित-नये बहाने खोजने की। जो किसी चक्रव्यूह से कम नहीं। कई शोध यह  साबित कर चुके हैं कि लगातार तनाव में रहने से मस्तिष्क पर नकारात्मक असर होता है। इंसान की तर्कशक्ति और याददाश्त कमजोर होती है। हद से ज्यादा तनाव के चलते दिमाग की क्रियाशीलता कम हो जाती है। आप एक बार उलझते हैं तो फिर उलझते ही जाते हैं। ऐसा ना होने दें। अगर किसी वजह से कोई काम पूरा करने में देरी हुई भी है तो पहले पायदान पर ही संभल जायें।
व्यवहार विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर किसी काम में मुश्किलें आयें  तो उसे सबसे पहले करने की सोचें। अपने आप रास्ते निकल आयेंगे। कम से कम टालें तो बिलकुल भी नहीं। एक सही योजना के साथ शुरुआत करते हुए थोड़ा ही सही, पर एक बार काम को शुरू जरूर कर दें। फिर आगे बढ़ते हुए जरूरी हो तो किसी अनुभवी  इंसान का मशविरा भी लें। ये घर के बड़े या दफ्तर में आपके सीनियर हो सकते हैं। आपसी संवाद करके सहयोग का माहौल तैयार करें और अपनी जिम्मेदारी निभाने की राहें तलाशें।
सुकून का मूलमंत्र प्रसिद्ध लेखक प्रेमचंद का कहना है कि कर्तव्य का पालन ही चित्त की शांति का मूल मंत्र है। यानी मन को तनाव मुक्त रखना चाहते हैं तो हर हाल में अपनी जिम्मेदारी संभालें। घर या वर्कप्लेस पर खुद अपने आप से भी उम्मीदें रखें। कोशिश हो कि इन पर खरे उतर सकें। हां, ये कर सकते हैं आप जिम्मेदारियां उतनी ही लें, जितनी संभाल पाएं। अपने कार्यों को हमेशा समय पर ही पूरा करें।  ऐसा करते रहने की आदत आपको सुकून भी देती है। 

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