इस गांव को है हनुमान जी से खास बैर, पूजने पर है मनाही
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कोलकाता टाइम्स
किसी भी मुसीबत से निकलने के लिए हम हनुमान जी का नाम लेते हैं। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी हनुमानजी की पूजा-अर्चना की जाती है। लेकिन खास भारत में एक गांव ऐसा है, जहां बजरंगबली की पूजा करना तो दूर उनका नाम तक लेने की मनाही है। इतना ही नहीं, इस गांव में लाल रंग का झंडा भी नहीं लगाया जा सकता।
हनुमानजी के प्रति गांव वालों की इस नफरत का संबंध रामायण से है। उत्तराखंड के जोशीमठ प्रखण्ड में जोशीमठ नीति मार्ग पर द्रोणागिरी नामक गांव स्थित है। यही वो जगह है जहां के लोग हनुमानजी से बैर रखते हैं।
रामायण में युद्ध के दौरान जब लक्ष्मणजी, मेघनाथ के बाण से मूर्छित हो गए थे, तब उन्हें संजीवनी बूटी लाने का आदेश दिया गया। द्रोणागिरी गांव के लोगों का मानना है कि हनुमानजी संजीवनी बूटी के लिए जिस पर्वत को उठाकर ले गए थे, वह इसी गांव में मौजूद था।
जिस पहाड़ पर संजीवनी मौजूद थी, यहां के लोग उसकी पूजा-अर्चना करते थे। गांव में मान्यता है कि जिस वक्त हनुमानजी संजीवनी बूटी लेने आए थे, तब पहाड़ देवता साधना में लीन थे।
ऐसे में हनुमानजी को उनकी साधना खत्म होने का इंतजार करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। वो पहाड़ देवता से अनुमति लिए बिना ही पर्वत का एक हिस्सा उखाड़कर अपने साथ ले गए।
इस तरह हनुमानजी ने पहाड़ देवता की साधना भंग कर दी। गांववालों का मानना है कि हनुमानजी पहाड़ का जो हिस्सा उठाकर अपने साथ ले गए थे, वो असल में पहाड़ देव की दाईं भुजा थी।
यहां मान्यता है कि भुजा उखड़ जाने की वजह से पर्वत देवता को आज भी कष्ट होता है और उनकी भुजा से रक्त बहता रहता है। इसी घटना की वजह से गांव के लोग हनुमानजी से नाराज हैं।