कसौटी में फ़ैल : 343 दवाओं पर लग सकती है रोक, फार्मा कंपनियों को अरबों का नुकसान!
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कोलकाता टाइम्स
फार्मा कम्पनियों को बड़ा झटका लग सकता है। जानकारी के मुताबिक 343 दवाओं की बिक्री पर रोक लगाई जा सकती है। कई कम्पनियों ने प्रतिबंध की संभावना को देखते हुए इन दवाओं को भारतीय बाजार से हटा दिया है। अगर रोक लगाई जाती है तो वॉकहार्ट, एल्केम लैब्स, सिप्ला, सन फार्मा जैसे 6,000 ब्रांड्स पर इसका असर पड़ेगा। ड्रग टेस्टिंग एडवाइजरी बोर्ड यानी डीटैब की सब-कमेटी ने जांच में 349 में से 343 दवाओं को सुरक्षित नहीं पाया है। सब-कमेटी ने यह रिपोर्ट डीटैब को सौंपी है।
दरअसल साल 2016 और 2017 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने इन दवाओं पर प्रतिबंध लगाया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन दवाओं के प्रभाव का दोबारा अध्ययन करने के लिए डीटैब को निर्देश दिया था। डीटैब देश में दवा की गुणवत्ता और प्रभाव का अध्ययन करने वाली और निर्णय लेने वाली सर्वो’च संस्था है।
इन 343 फिक्स्ड डोज कम्बीनेशन (एफ.डी.सी.) का बाजार करीब 20 से 22 अरब रुपए का है। जून में इनकी वृद्धि दर 4.7 प्रतिशत रही जबकि बाकी घरेलू दवा बाजार 8.6 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ा। एफ.डी.सी. दवा वह होती है जिसमें 2 या उससे अधिक सक्रिय तत्व एक निश्चित खुराक अनुपात में होते हैं। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने कहा कि डीटैब अगले 7 से 10 दिन में अपनी रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपेगा। मार्च 2016 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने चंद्रकांत कोकटे समिति की सिफारिशों के आधार पर 349 एफ.डी.सी. पर प्रतिबंध लगा दिया था। समिति ने पाया था कि ये दवाएं अव्यावहारिक हो गई हैं और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं।
प्रतिबंध से प्रभावित होने वाले ब्रांडों में फैंसेडिल (ऐबट), टिक्सीलिक्स (ऐबट), ग्लूकोनॉर्म पीजी (ल्यूपिन), एसोक्रिल डी (ग्लेनमार्क), सॉल्विन कोल्ड (इप्का), डी कोल्ड टोटल (पारस फार्मा) आदि शामिल हैं। प्रतिबंध से सबसे ज्यादा असर ऐबट पर पड़ेगा जिसका इन एफ.डी.सी. में करीब 5.45 अरब रुपए का निवेश है।