भारत को सोना देना वाला आज कौड़ियों को मुहताज, मर रहा बिना इलाज
कभी भारत को सोने का मुँह दिखने वाला आज पैसों की कमी से बिना इलाज मरने को मजबूर है। ध्यान चंद अवॉर्ड से नवाजे गए हकम सिंह जो कभी एशियन गोल्ड मेडलिस्ट विजेता का परिवार आज उन्हें अपने आंखों के सामने तिल-तिल कर मरते देख रहा है। भट्टल को लिवर और किडनी से संबंधित बीमारी है। जिसके कारण वो लम्बे समय से अस्पताल के चक्कर काट रहे थे लेकिन अब वो उठ कर चलने के हालत में नहीं हैं। उनका परिवार बेहतर इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है।
यहां तक सरकार से भी उन्हें अभी तक निराशा हाथ लगी है। बता दें कि भट्टल को लिवर और किडनी से संबंधित बीमारी है। वह कई दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं। भारत के लिए मेडल जीतने वाले हक भारतीय सेना में भी रहे हैं। उन्होंने 1972 में 6 सिख रेजिमेंट में हवलदार के तौर पर जॉइन किया था
खेल के विकास में अहम योगदान के लिए उन्हें 29 अगस्त, 2008 को राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने ध्यान चंद अवॉर्ड से सम्मानित मिल चुका है। हकम के बेटे सुखजीत सिंह ने बताया कि उनके पिता ने बैंकॉक एशियन गेम्स-1978 में पुरुषों के 20 किमी पैदल चाल स्पर्धा का गोल्ड मेडल नए रेकॉर्ड के साथ अपने नाम किया था। 1981 में लगी एक खतरनाक चोट की वजह से उन्हें खेलना छोड़ना पड़ा, लेकिन वह ऐथलेटिक्स से जुड़े रहे। 1987 में आर्मी से जब वह रिटायर हुए तो उनके अनुभव और क्षमता को देखते हुए पंजाब पुलिस ने 2003 में उन्हें ऐथलेटिक्स कोच के तौर पर कॉन्स्टेबल रैंक की नौकरी दे दी।