इस गांव में डिबरी बुझाने में लग गए 71 साल
71 साल बाद ही सही उजाले का मुँह तो देखा। यहां तो शाम होते ही अँधेरा मानों तांडव शुरू कर देता था। आजादी के बाद से इस गांव में रहने वाले अनुसूचित जनजाति के परिवार डिबरी की रोशनी में जीवन काट रहे थे। अब डिबरी की जगह बिजली बल्ब जलेगा हर घर में। नेपाल से मात्र एक सड़क दूर सुंदरपुर गांव में अब मुख्यमंत्री समग्र ग्राम योजना के तहत बिजली लेन का काम शुरू किया गया।
माधोटांडा ब्लाक के गांव सुंदरपुर और इसके मौजा बंदरबोझ विकास से अब तक अछूते रहे हैं। यह गांव पिलर संख्या 18 के पास बसा है। नेपाल के गांव का विकास देखकर इस गांव के लोग खुद को और सरकार को कोसते थे। 71 साल से ग्रामीण बिजली के अलावा अन्य सुविधाओं को पाने के लिए तरस रहे थे। सबसे अधिक खुशी बुजुर्गों में है जो बिजली का बल्व जलते देखने की आस में अपनी जिंदगी के कई पड़ाव देख चुके हैं। गांव में बिजली रमनगरा से दी जाएगी। गांव के प्रधान बंतावती ने बताया कि आजादी के बाद से अब गांव में बिजली आ रही है।