May 18, 2024     Select Language
Editor Choice Hindi KT Popular दैनिक स्वास्थ्य

इंसानो की लालच ने धरतीं के सैकड़ों प्रजातियों को धकेल दिया खात्मे की ओर

[kodex_post_like_buttons]
कोलकाता टाइम्स
मनुष्यों की जरूरत से ज्यादा लालच के कारण धरती से से सैकड़ों प्रजातियां खत्‍म होने के कगार पर हैं। इनमें हाथियों से लेकर मेढ़कों की कुछ प्रजातियां शामिल हैं। एक नए शोध के बाद यह सच सामने आया है। शोध में दावा किया गया है कि जंगलों की कटाई, जलवायु परिवर्तन और जरूरत से ज्यादा मछली पकड़ने के कारन जल्द ही धरती से कई प्रजातियां लुप्त  हो जाएँगी,
विशेषज्ञों का कहा है कि ऊष्‍णकटिबंधीय क्षेत्र या ट्रॉपिकल क्षेत्रों में इसका सबसे ज्यादा खतरा मंडरा रहा है। यह अध्‍ययन नेचर पत्रिका में प्रकाशित हो चुका है। प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, वैश्‍विक तनाव का स्‍तर बढ़ने से और जमीन का इस्‍तेमाल बदलने से दुनिया की जैव विविधता पर खतरनाक असर हो रहा है। यूनीवर्सिटी ऑफ ऑक्‍सफोर्ड समेत दुनिया के कई प्रमुख संस्‍थानों के विशेषज्ञ इस अध्‍ययन में शामिल हुए। उनका कहना है कि अगर हम अभी नहीं चेते तो हमारे ग्रह के सबसे विविधतापूर्ण हिस्‍से में जीव जन्तुओं की प्रजातियों का ऐसा नुकसान होगा, जिसका असर हम चाह कर भी कम नहीं कर पाएंगे।
अपनी तरह के पहली बार किए गए इस अध्‍ययन में विश्‍व के 4 सबसे विविधतापूर्ण ट्रॉपिकल ईकोसिस्‍टम्स पर शोध किया गया। इसमें ट्रॉपिकल वन, सवाना, झील, नदियां और कोरल की चट्टानें शामिल थीं। शोधकर्ताओं ने ट्रॉपिकल ईकोसिस्‍टम की संवेदनशीलता पर अध्‍ययन किया। उनका कहना है कि अफ्रीकी बुश हाथी या सवाना हाथी पर विलुप्‍त होने का सबसे बड़ा खतरा मंडरा रहा है। इनके संरक्षण के लिए किए जा रहे तमाम प्रयासों के बावजूद हाथी दांत के लिए इनकी हत्‍या करने वाले शिकारियों पर लगाम नहीं कस पा रही है। इसके अलावा ट्रीफ्रॉग्‍स भी विलुप्‍त होने के कगार पर हैं। मेंढ़कों की यह प्रजाति जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, नई बीमारियों और जंगलों की गैरकानूनी कटाई के कारण खतरे में है।
हालंकि धरती के केवल 40 फीसदी हिस्‍से पर ही ट्रॉपिक कवर है, मगर यहां दुनिया की तीन चौथाई से भी ज्यादा प्रजातियां पाई जाती हैं। इसमें कम पानी में होने वाले कोरल और पक्षियों की 90 फीसदी प्रजातियां शामिल हैं। शोध के सह लेखक और यूनीवर्सिटी ऑफ हांगकांग में असिस्‍टेंट प्रोफेसर बेनॉट गेनार्ड का कहना है कि अगर हम प्रजाति की खोज की बात करें तो हर साल तकरीबन 20 हजार नई प्रजातियां इस क्षेत्र में खोजी जा सकती हैं। इस हिसाब से चला जाए तो सारी प्रजातियों के बारे में 300 साल का समय लग जाएगा।

Related Posts

Leave a Reply