July 1, 2024     Select Language
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3800 साल पहले भी अपने अधिकारों से अवगत थे उपभोक्ता  

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कोलकाता टाइम्स 

शायद ही ऐसी कोई दुकान हो जिसे कभी न कभी ग्राहक की शिकायत का सामना करना पड़ा हो। आजकल यह बहुत ही आम बात है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि, करीब 3800 साल पहले भी ग्राहक इसी तरह शिकायत करते थे वह भी लिखित। मेसोपोटामिया सभ्यता (वर्तमान इराक) के उर शहर (वर्तमान में तेल-अल-मुकैय्यर) से  ग्राहक की दुकानदार से शिकायत का दुनिया का सबसे पुराना सबूत मिला है।

फिलहाल ये शिलालेख लंदन के ब्रिटिश म्यूजियम में सुरक्षित शिलालेख में मे उर शहर से मिले एक शिलालेख में ग्राहक ने लिखा था कि व्यापारी ने जिस तरह के तांबे के बारे में बताया था, वैसा दिया नहीं। ये शिलालेख 1750 ईसवी पूर्व यानि आज से करीब 3800 साल पुराना  है।
शिलालेख के मुताबिक, नानी नाम के आदमी ने आ-नासिर नामक व्यापारी को लिखी शिकायत में कहा कि उसे न केवल खराब गुणवत्ता का तांबा दिया गया बल्कि उसे पहुंचाने में देरी भी की गई। अकादियन भाषा में लिखी गई इस शिकायत की लिपि कीलाकार है, जो लेखन शैली का सबसे शुरुआती रूप माना जाता है।  नानी ने अपने संदेश में लिखा, “जब तुम मेरे पास आए थे तो तुमने मुझे अच्छी गुणवत्ता वाली तांबे की सिल्लियां देने को कहा था। लेकिन तुम्हारी दी सिल्लियां वैसी नहीं निकलीं, जैसा तुमने वादा किया था। अगर तुम उन्हें ले जाना चाहो तो ले जाओ। अगर नहीं ले जाना चाहते तो कोई बात नहीं। आखिर तुम मुझसे क्या ले गए। लेकिन इसी तरह तुम किसी और को भी धोखा दोगे।

मैंने कुछ सज्जन लोगों को कई बार तुम्हारे पास पैसा लेने के लिए भेजा लेकिन हर बार तुमने उन्हें खाली हाथ ही लौटा दिया। क्या कोई ऐसा व्यापारी है जिसका तेल्मुन से व्यापार हो और वह बुरा बर्ताव करे। शायद तुम ऐसे अकेले हो जिसने मेरे संदेशवाहक के साथ भी बुरा व्यवहार किया।मैं तुम्हारी ओर से राजमहल को 1080 पाउंड तांबा दे चुका हूं।”

नानी ने अपने संदेश में चुनौती देते हुए कहा, “तुमने तांबे के लिए मुझसे ऐसा बर्ताव कैसे किया? तुम मुझसे जो पैसे ले गए हो, उसे लौटाना पड़ेगा। मुझे किसी भी रूप में तुम्हारा तांबा नहीं चाहिए। अब जो भी तांबा मुझे लेना होगा वो मैं अपने घर में खुद पसंद करूंगा। तांबा पसंद नहीं आया तो उसे तुरंत वापस भी कर दूंगा।”

जिस समय भारत में सिंधु घाटी (हड़प्पा) की सभ्यता थी, उसी दौरान इराक में मेसोपोटामिया और सुमेर की सभ्यता फल-फूल रही थीं। सिंधु घाटी की सभ्यता का काल 2350 ईसवी पूर्व से 1750 ईसवी पूर्व का माना जाता है। सिंधु घाटी की सभ्यता कांस्ययुगीन थी। यानी इन लोगों ने तांबा और टिन मिलाकर कांसा बनाने की कला सीख ली थी।

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