चीन ने ढूंढा प्रताड़ित कारण का नया रास्ता, क्यूआर कोड सिस्टम तले जीने को मजबूर होंगे उइगर मुसलमान
चीन ने फिर देश में बसते अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने का अनोखा रास्ता ढूंढ निकला। एक नए फरमान जारी करते हुए चीन ने अपने देश में बसे उइगर मुसलमानों के घर के बाहर क्यूआर कोड सिस्टम लगाया जा रहा है। यह आरोप ह्यूमन राइट्स वॉच (HRW) नाम के संगठन ने अपनी रिपोर्ट में लगाए हैं।
बता दे, चीन पहले भी मुस्लिम बहुल प्रांत शिनजियांग पर कई तरह की कार्रवाई कर चुका है। इसमें मनमानी हिरासत, नई-नई पाबंदी और धार्मिक कार्यक्रमों पर रोक शामिल है।
संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा उन घरों में रहनेवाले लोगों की तुरंत पहचान के लिए किया गया है। अब अधिकारी किसी घर में घुसने से पहले घर के दरवाजे पर लगे डिवाइस को मोबाइल से स्कैन करते हैं। एचआरडब्लू की चीन की डायरेक्टर सोफी रिचरडसन ने इस बारे में बताया है। उन्होंने कहा, ‘चीनी सरकार मानव अधिकारों पर हमला कर रही है और यह पिछले कई दशकों से अनदेखा किया जा रहा है।’ वहीं प्रशासन का अपनी सफाई में कहना है कि उन डिवाइस की मदद से जनगणना नियंत्रण और घर-घर दी जानेवाली सर्विस में मदद मिलती है।
शिनजियांग प्रांत को छोड़कर दूसरी जगह रहने गए शख्स ने HRW को उनपर हुए जुल्मों के बारे में बताया है। संगठन के मुताबिक, शख्स ने उन्हें बताया कि यह 2017 के आसपास शुरू हुआ था। अब प्रशासन के लोग आते हैं और पूछते हैं उस घर में कितने लोग रहते हैं, फिर निगरानी रखते और घर पर आनेवाले मेहमान से भी पूछताछ करते हैं कि वह वहां क्यों आए हैं? कई बार तो शाम को बिना कारण बताए चेकिंग भी होती है। सताए हुए अन्य कुछ लोगों ने यह भी बताया कि पासपोर्ट या आईडी कार्ड का आवेदन देने पर सरकार बायोमैट्रिक डाटा लेने लगी है। इसमें डीएनए, आवाज के नमूने भी लिए जाते हैं।
बता दें कि इससे पहले यूएन की एक रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि चीन ने 10 लाख मुसलमानों को खुफिया शिविरों में कैद कर रखा है। तब यूएन ने आतंकवाद से निपटने के बहाने हिरासत में रखे गए इन लोगों को रिहा करने का आह्वान किया था। इस पर चीन ने सफाई दी थी कि उनकी सरकार ने ऐसा कुछ किया ही नहीं है और सीक्रेट शिविर की बात झूठी है।