July 3, 2024     Select Language
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रोज-रोज आँखों तले…. हकीकत से वास्ता 

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कोलकाता टाइम्स   

ऐसा बहुत सारे लोगों के साथ होता है कि वह एक ही सपना महीनों तक हर रात देखते रहते हैं। इस बारे में वैज्ञानिकों का मानना है कि लोग जिंदगी में जिन बातों या कामों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं उन्हीं बातों को वह बार-बार सपने में देखते हैं जैसे ही वे उस बात या काम पर ध्यान देना शुरू करेंगे। उन्‍हें ऐसे सपने आना बंद हो जाते हैं।

मैं नींद में उठ कर चलती हूं: नींद में कुछ लोगों का दिमाग तो सो जाता है, लेकिन शरीर की मांसपेशियां नहीं रुकतीं। इसी के चलते दुनिया की 4 से 10% आबादी नींद में चलने की प्रॉब्‍लम से परेशान है। नींद से जुड़ी ये समस्‍या इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि लोग सोते में चलते हुए सड़क पर भीड़ वाली जगह या किसी खतरनाक जगह पर पहुंच जाते हैं। सबसे खास बात तो यह है कि सुबह उठने पर लोगों को रात के बारे में कुछ भी याद नहीं रहता।

राज की बात कह दूं तो : जीहां कई लोग नींद में बातें करते हैं जिसे सोमनीलॉक्‍यू कहते हैं। वैसे तो यह बीमारी खतरनाक नहीं है, लेकिन लोग इसके चलते सोते हुए बहुत कुछ ऐसा बोल जाते हैं जो वो हमेशा अपने दिमाग में ही रखना चाहते हैं, किसी से साझा नहीं करना चाहते। यानी कि नींद में बातें करते हुए आप अपने बहुत सारे सीक्रेट खोल सकते हैं।

सपने में देखा एक सपना : कई बार लोग सोते समय बार-बार जाग जाते हैं और उन्हें कुछ भी याद नहीं रहता। दरसल उस समय वह सपने के भीतर एक दूसरा सपना देख रहे होते हैं जहां उन्हें कोई जगा रहा होता है। जैसे हॉलीवुड मूवी इंस्‍पेशन में होता है।

कहीं हम गिर ना पड़ें : वास्‍तव में आप में से कई लोगों ने महसूस किया होगा कि नींद के दौरान जमीन पर या गहरी खाई में गिरे जा रहे हैं। इसकी हकीकत ये है कि सोने की स्‍थिति मरने जैसी होती है जिसमें दिमाग शांत हो जाता है और मांसपेशिया शिथिल हो जाती है। इस दौरान कई बार दिमाग डर जाता है कि कहीं आप मर तो नहीं गए यही जांचने के लिए दिमाग बाकी शरीर को संदेश भेजता है जो आपको चौंक कर गिरने का एहसास कराता है।

देखो मैंने देखा है एक सपना : एक न्यूरो साइकोलॉजिकल समस्‍या के चलते मरीज आधा सोता और आधा जागते हुए लगातार खुद को देखता रहता है, और उसे महसूस होता है कि वह अपनी आत्मा को देख रहा है। वैज्ञानिकों का कहना है इस स्थिति में आत्मा शरीर से बाहर नहीं निकलती सिर्फ अचेतन की स्थिति में व्यक्ति को ऐसा महसूस होता रहता है कि वो खुद को अलग बैठकर देख रहा है।

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