सबके लिए ख़ुशी की सौगात नहीं है दोपहर की नींद
कोलकाता टाइम्स
लोगों में इस बात को लेकर हमेशा से बहस होती रही है कि दोपहर में सोना अच्छा है या खराब। कई लोगों को दोपहर में सोने की आदत होती है, कई लोग इससे परहेज भी करते हैं। कई लोग सोना चाहते भी हैं तो उनके काम का रूटीन उन्हें सोने नहीं देता और दोपहर के खाने के बाद आलस आने लगता है। दोपहर में सोने वालों के लिए अब खुशखबरी है। दोपहर में सोना अच्छा होता है, इस बात को विज्ञान का समर्थन मिल गया है।
यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिलवेनिया में साइकोलॉजी के असिस्टेंट प्रोफेसर फिलिप ने कहा है कि दोपहर की नींद न सिर्फ आपके आलस को दूर करती है, बल्कि आपके ओवरऑल परफॉर्मेंस को भी बेहतर करती है। दोपहर में नींद लेने से इम्यूनिटी भी बढ़ती है और इससे दिल की बीमारी का खतरा कम होता है।
15 से 30 मिनट की झपकी आलस को दूर करने में कारगर है लेकिन अगर आप मानसिक रूप से भी थके हुए हैं तो आपको 90 मिनट की नींद लेनी चाहिए। इतनी देर में आप गहरी नींद की अवस्था में जाकर जग सकते हैं लेकिन अगर आप इस अवस्था के बीच में ही उठ जाते हैं तो हो सकता है कि आप और भी ज्यादा थकान महसूस करें।
रीसर्चर्स का कहना है कि वर्कआउट के तुरंत बाद सोने का आइडिया अच्छा नहीं है। वर्कआउट करने के बाद दिमाग तेज काम करने लगता है, ऐसे में नींद आने में परेशानी होगी। वर्कआउट के कम से कम 2 घंटे के बाद ही आपको सोने जाना चाहिए।
ध्यान रहे कि अगर आपको दोपहर में सोने की जरूरत महसूस नहीं होती है तो न सोएं। हर किसी को इसका फायदा नहीं होता है। कुछ लोगों का शरीर दिन-रात के साइकल को फॉलो करता है और उन्हें दोपहर में नींद कम आती है।