आशीर्वाद के संग चाहिए लोन भी, चले आईये इस देवता के पास
यहां जरूरतमंदों को आसानी से लोन मिल जाता है। यहां कि यह परंपरा सदियों पुरानी है। यह लोन सिर्फ एक वर्ष के लिए ही दिया जाता है, जिसपर सालाना दो या तीन फीसदी ब्याज चुकाना पड़ता है। अगर लोन चुकाने वाले की आर्थिक स्थिति अच्छी न हो तो कई बार लोन माफ भी कर दिया जाता है। मंदिर के प्रबंधक बस यह देखते हैं कि लोन का आवेदन करने वाला वाकई जरूरतमंद है या नही।
लोन देते समय यह नही देखा जाता कि यह लोन वापस भी लौटा पायेगा या नही। क्योंकि यह आस्था से जुड़ा हुआ मामला है और कोई भगवान को धोखा नही देगा। जरूरतमंदों को देवताओं की ओर से केवल नगद ही नहीं दिया जाता, बल्कि अनाज भी लोन के रूप में दिया जाता है। यहां नगद राशि को नगद के रूप में ही चुकाया जाता है और अनाज के बदले अनाज ही वापस लिया जाता है।