June 3, 2024     Select Language
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नेलपॉलिश का यह जहर रीढ की हड्डी को कर सकता है बेकार

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कोलकाता टाइम्स : 
पको जानकर हैरानी होगी कि नेलपॉलिश में ट्रिफेन्यल फॉस्फेट नामक जहरीला पदार्थ पाया गया। लेकिन नेलपॉल‍िश के लेबल पर इसका कहीं जिक्र नहीं मिलता है। ऐसे कई तथ्‍य है जो आपको नीचे पढ़ने पर चौंका सकते हैं। आइए जानते है कि नेल पेंट में इस्‍तेमाल होने वाले केमिकल कैसे आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं।
एक रिसर्च के अनुसार नेल पेंट में स्मूथ फिनिशिंग के लिए टालुइन नाम का एक केमिकल मिलाया जाता है। ये केमिकल आमतौर पर कार में ईंधन डालने वाले गैसोलीन में इस्तेमाल किया जाता है। जब यह केमिकल हमारे नाखूनों के संपर्क में आता है, तो धीरे-धीरे ये शरीर की अन्य कोशिकाओं से भी अपना संपर्क बना लेता है। जिसके परिणामस्‍वरुप ये होता है कि ये केमिकल नर्वस सिस्टम और दिमाग के साथ-साथ रिप्रोडक्टिव सिस्टम को भी प्रभावित करता है।
नेल पॉलिश में Phthalates नामक एक ऑयली केमिकल होता है, जब यह आंख और मुंह के संपर्क में आता है तो संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। वहीं इसकी वजह से नाक और गले में इंफेक्शन तक हो सकता है।
नेलपॉलिश में टालुइन नाम का तत्व होता है। अगर कोई यह मां के दूध में सीधे घुस जाता है। स्तनपान कराने वाली महिलाओं से यह बच्चे तक पहुंच जाता है। इससे बच्चे के विकास पर सीधा असर पड़ता है। नेलपॉलिश लगाने के दस घंटे के भीतर ये केमिकल अपना असर दिखाने लग जाता है। अगर यह केमिकल बहुत अधिक मात्रा में शरीर में पहुंच जाए तो लीवर और किडनी तक को डैमेज कर देता है।
नेलपॉल‍िश में न्यूरो-टॉक्सिन जैसे जहरीले पदार्थ मिले होते है जो सीधे दिमाग पर असर डालते हैं। इसके साथ ही ये रीढ की हड्डी को भी प्रभावित करते हैं।
नेल पॉल‍िश में इस्‍तेमाल होने वाला केमिकल शरीर में प्रवेश कर ह्यूमन सिस्टम में गंभीर बदलाव करने की क्षमता रखता है। यह खास्तौर पर दिमाग और नर्वस सिस्टम को ये प्रभावित कर सकता है। यह पेट के पाचन और हॉर्मोन सिस्टम में भी गड़बड़ी पैदा कर देता है।
नेल पॉल‍िश में फॉर्मेल्डिहाइड नामक एक तत्व होता है जो रंगहीन होता है लेकिन जो इस तत्‍व के सम्‍पर्क में आने से शरीर में कैंसर सेल्स बनने लगती हैं। एक रिसर्च में भी ये बात सामने आ चुकी है कि नेलपॉल‍िश का ज्‍यादा इस्‍तेमाल करने से स्किन कैंसर हो सकता है। क्योंकि नेल पॉलिश में एक खास प्रकार का जैल मिलाया जाता है, जो सूर्य की खतरनाक अल्ट्रावायलट किरणों को सोख लेता है और यही किरणें कैंसर को जन्म देती हैं।

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