November 23, 2024     Select Language
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आपकी पूरी दुनिया बदल सक्ती है यह एक चमत्कारी शब्द 

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कोलकाता टाइम्स :
हिन्दू परंपरा में `ॐ’ शब्द को सबसे पावन माना जाता है। ओउम् तीन अक्षरों से बना है, जो सर्व विदित है । अ उ म् । `अ’ का अर्थ है उत्पन्न होना, `उ’ का तात्पर्य है उठना, उडना अर्थात् विकास, `म’ का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् `ब्रह्मलीन’ हो जाना। संसार के कण-कण में ॐ की ध्वनि व्याप्त है। तीन अक्षर से बने ॐ की शक्ति अपरम्पार हैं, ब्रह्मा, विष्णु, महेश इस महाशक्तिशाली मंत्र का हमेशा जाप करते हैं। इस मंत्र में ब्रह्मा, विष्णु, महेश की शक्तियां समाहित हैं। प्रलय नाद हो या जीवन की शुरुआत इस परब्रह्म शब्द की शक्ति के द्वारा ही सम्भव हैं। ओंकार ध्वनि `ॐ’ को दुनिया के सभी मंत्रों का सार कहा गया है। यह उच्चारण के साथ ही शरीर पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ती है। भारतीय सभ्यता के प्रारंभ से ही ओंकार ध्वनि के महत्त्व से सभी परिचित रहे हैं। तपस्वी और ध्यानियों ने जब ध्यान की गहरी अवस्था में सुना की कोई एक ऐसी ध्वनि है जो लगातार सुनाई देती रहती है शरीर के भीतर भी और बाहर भी। हर कहीं, वही ध्वनि निरंतर जारी है और उसे सुनते रहने से मन और आत्मा शांती महसूस करती है तो उन्होंने उस ध्वनि को नाम दिया ओम।

साधारण मनुष्य उस ध्वनि को सुन नहीं सकता, लेकिन जो भी ॐ का उच्चारण करता रहता है उसके आसपास सकारात्मक ऊर्जा का विकास होने लगता है। फिर भी उस ध्वनि को सुनने के लिए तो पूर्णत: मौन और ध्यान में होना जरूरी है। जो भी उस ध्वनि को सुनने लगता है वह परमात्मा से सीधा जुड़ने लगता है। परमात्मा से जुड़ने का साधारण तरीका है ओम का उच्चारण करते रहना। तंत्र योग में एकाक्षर मंत्रों का भी विशेष महत्व है। देवनागरी लिपि के प्रत्येक शब्द में अनुस्वार लगाकर उन्हें मंत्र का स्वरूप दिया गया है। उदाहरण के तौर पर वंâ, खं, गं, घं आदि। इसी तरह श्रीं, क्लीं, ह्रीं, हूं, फट् आदि भी एकाक्षरी मंत्रों में गिने जाते हैं। सभी मंत्रों का उच्चारण जीभ, होंठ, तालू, दाँत, कंठ और फेफड़ों से निकलने वाली वायु के सम्मिलित प्रभाव से संभव होता है। इससे निकलने वाली ध्वनि शरीर के सभी चक्रों और हारमोन स्राव करने वाली ग्रंथियों से टकराती है। इन ग्रंथियों के स्राव को नियंत्रित करके बीमारियों को दूर भगाया जा सकता है। प्रात: उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वङ्काासन में बैठकर कर सकते हैं। इसका उच्चारण ५, ७, १०, २१ बार अपने समयानुसार कर सकते हैं। ओ जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरे बोल सकते हैं। ओम जप माला से भी कर सकते हैं।

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