July 3, 2024     Select Language
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चकरा जायेंगे ब्रेनवॉशिंग की असलियत जान !

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कोलकाता टाइम्स :

मेडिकल टर्म में बात करें तो ब्रेन वॉशिंग पूरे तरह से सामाजिक दायरों पर निर्भर है साथ ही इसके कई तरीके हो सकते हैं।

तरीका : पहला तरीका अनुपालन (compliance) का तरीका है, इसमें किसी को सिर्फ एक तरफा व्यवहार के लिए उकसाया जाता है। इसमें व्यक्ति को सीधे तौर पर आदेश दिया जाता है कि वो फलां काम को करे। दूसका तरीका है, विश्वास दिलाना (persuasion) , इसमें व्यक्ति को ये भरोसा दिलाना कि अगर तुम ये करते हो तो तुम्हें इससे फायदा होगा। तीसरा तरीका है, शिक्षा (education) जिसको प्रोपेगैंडा के तौर पर जाना जाता है। इसमें इस तरह के तरीकों को अपनाया जाता है जिससे सच को जानते हुए भी खुले तौर पर नकारा जाए। इसका सीधा तरीका ऐसी जानकारी साझा करना जो कि किसी खास मकसद के लिए तैयार की गई हो। जो लिखित और मौखिक भी हो सकती है।

यहां सबसे ज्यादा इस्तेमाल: हाल ही में देश के सेना के जवानों पर एक आतंकी हमला हुआ जिसमें सेना के 40 जवानों की मौत हो गई। बताया गया कि एक कश्मीरी लड़का आदिल अहमद डार जोकि आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद से जुड़ा था, ने फिदायन बन कर आरडीएक्स का इस्तेमाल करके इस हमले को अंजाम देता है। ऐसा पहली बार नहीं कि मानव बम या फिदायन के तौर पर किसी का इस्तेमाल इस हद तक किया जाए कि वो अपनी जिंदगी को दांव देने के लिए तैयार हो जाए।

इससे पहले भी खबरें आती रही है कि देश में अचानक ही ISIS जैसे आतंकी संगठनों से जुड़ने के लिए कई कम उम्र के नौजवान दहशतगर्दों से
सहनुभूति दिखाने लगते हैं। इसमें ज्यादातर ऐसे लड़के पाए गए जो कम उम्र के नौजवान थे।

ब्रेन वॉशिंग का ये मामला काफी बड़ें स्तर पर दुनिया में दोहराया जाता है साथ ही इतिहास की कई कहानियां इसी से भरी पड़ी हैं।

माहौल : एक शोध जोकि गार्जियन अखबार ने किया था बताया कि किसी का सामाजिक बहिष्कार भी इसका बड़ा कारण बनता है। साथ ही सही जानकारियों और तार्कित समझ के साथ छेड़छाड़ करके ब्रेन वॉशिंग की जाती है। इसके लिए व्यक्ति की निजी जिंदगी में पहले जगह बनाई जाती है ताकि उस पर कंट्रोल किया जा सकें। ब्रेन वॉशिंग के लिए टारगेट पर एजेंट का नियंत्रण सबसे जरुरी है।

पहचान गुम : वैसे शोध बताते हैं कि ब्रेन वॉशिंग किसी की आइडेंटिटी पर हमला होता है जिससे उसे उसकी असल पहचान से अलग किया जा सके। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि पूरी तरह से पहचान नष्ट की जा सकती है। काफी हद तक सच्चाई और उसकी पहचान को छिपा दिया जाता है। जोकि सही माहौल या पुराने माहौल का असर खत्न होते ही ठीक हो जाता है।

फायदा ही मकसद : इसका एक उदाहरण रहा है कि  2008 में हुई मुंबई धमाके आरोपी अजमल कसाब ने खुलेआम मुंबई में घुसकर मासूम लोगों पर गोलियां बरसाई। कसाब पूरी तरह से किसी खौफनाक आतंकी से इतर कुछ नहीं था लेकिन पकड़े जाने के बाद हुई पूछताछ में कसाब बताता है कि कैसे उसे बताया गया कि बेगुनाह लोगों को मारने से जन्नत नसीब होती है। साथ ही उसके गरीब परिवार को इस काम के एवज में आर्थिक मदद दी गई थी। कसाब ने बयान में इसके लिए माफी भी मांग और माना था कि उससे गलती हुई है।

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