इमरान को FATF से नहीं बचा पायी चीन की लॉबी
कोलकाता टाइम्स :
FATF के इस फैसले ने एक तरग जहाँ पाकिस्तान की बजट को अनिश्चित मुकाम पर खड़ा कर दिया है वही इमरान खान की कुर्सी रख दिया है। पाकिस्तान की जमीन से आतंक के सरगना हाफिज सईद और मसूद अजहर के खिलाफ कोई एक्शन को न लेने से अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस पाकिस्तान से बेहद नाराज हैं। आतंक की पनाहगाह पाकिस्तान की काफी रोने-गिड़गिड़ाने पर एफएटीएफ ने कहा है कि पहले से दिये गये 27 बिंदुओं पर प्रमाणिक कार्रवाई अक्टूबर तक अमल में लाये अन्यथा उसे ब्लैक लिस्ट कर दिया जायेगा। हालांकि, पाकिस्तानी मीडिया ने गुरुवार को कहा था कि उसने भारत के प्रयासों को नाकाम कर एफएटीएफ की कार्रवाई से निजात हासिल कर ली है।
बताया जाता है कि चीन, मलेशिया और टर्की ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर निकालने के लिए हद से पार जाकर लॉबिंग की थी और पाकिस्तान को आश्वस्त कर दिया था कि अब पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर आ जायेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं। पाकिस्तान और उसके समर्थक चीन का कहना है लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए- मोहम्मद, जमात-उद-दावा और फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) की 700 से अधिक सम्पत्तियां जब्त करके काफी ठोस कदम उठाया है।
जैसा उसने 2012 में उसे ‘ग्रे’ सूची में डालने के परिणामस्वरूप भी किया था, लेकिन फाइनेशियल एक्शन टास्क फोर्स के सदस्य आतंकवादी सरगनाओं मुख्य तौर पर सईद एवं मसूद और संयुक्त राष्ट्र से घोषित अन्य आतंकवादियों के खिलाफ कोई मामले दर्ज नहीं किये जाने से असंतुष्ट रहे और उसे ग्रे लिस्ट से हटाने से इंकार कर दिया।
दरअसल पाकिस्तान का आतंकवाद निरोधक कानून एफएटीएफ मानकों और संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम प्रस्ताव 2462 के अनुरूप नहीं है। संयुक्त राष्ट्र का उक्त प्रस्ताव आतंकवाद के वित्तपोषण को अपराध बनाने का आह्वान करता है। जून 2018 में पाकिस्तान को ‘ग्रे’ सूची में डाल दिया गया था और एफएटीएफ ने उसे 27 बिंदु कार्य योजना दी थी। इस योजना की अक्तूबर 2018 में हुए पिछले पूर्ण सत्र में और दूसरी बार फरवरी में समीक्षा की गई थी।