पूजते तो हैं, पर क्या स्वास्थ्य पर कभी आजमाया है बरगद का पेड़ !
कोलकाता टाइम्स :
कहते है वट वृक्ष यानी बरगद के पेड़ में स्वयं भगवान विष्णु का निवास होता है। जो मनोकामना मानी जाती है वह पूरी हो जाती है। जिस प्रकार इस पेड़ में लोगो की श्रद्धा तो है इसके साथ ही इस पेड़ के फूलो से, पत्तियों से, फलो से और भी कई सारी चीजे है जिनसे शारीरिक लाभ होता है। तासीर ठंडी होती है जो कफ, पित्त की समस्या को दूर कर रोगों का नाश करती है। बुखार, स्त्री रोग संबंधी समस्याएं, उल्टी व त्वचा के रोगों में वट वृक्ष के पत्तों, जड़ों और दूध का प्रयोग फायदेमंद होता है। वट का दूध लगाने से सूजन कम हो जाती है। वट के दूध का लेप कमर पर करने से दर्द में लाभ होता है।
पत्ते हैं उपयोगी – वट की कोपलें चेहरे की कांति बढ़ाने का काम करती हैं. बरगद की जड़ों में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इसकी ताजी जड़ों को कुचल कर चेहरे पर लगाएं। झुर्रियां कम हो जाएंगी. इसके पत्तों को तवे पर सेककर सहने योग्य स्थिति में फोड़ों के ऊपर बांधने से लाभ मिलता है। इसके पत्तों की लुग्दी बनाकर शहद और शक्कर के साथ लेने से नकसीर की समस्या में आराम मिलता है। वट के बीजों को पीसकर पीने से उल्टी आने की समस्या दूर होती है। दूध भी गुणकारी – जिस दांत में कीड़ा लग गया हो वहां इसके दूध में भीगा फोहा रखने से लाभ होता है।
लगभग 10 ग्राम बरगद की छाल, कत्था और 2 ग्राम काली मिर्च बारीक पीसकर पाउडर बना लें। यह मंजन करने पर दांतों का हिलना, सडऩ, बदबू दूर हो जाती है. वट का दूध, शक्कर के साथ लेने से बवासीर में लाभ होता है। बरगद की ताजा कोमल पत्तियों का पाउडर बनाकर खाने से मानसिक क्षमता मजबूत होती है। कहते है वट वृक्ष यानी बरगद की पत्तियों को पानी में पीसकर उनका रस निकालकर बालो में लगाने से उड़े हुए बाल वापस आ सकते है। बालो को मुलायन बनाना हो तो इस रस में दही को मिलाकर बालो में लगाये।