अब बगैर पकाए खाइये चावल
कोलकाता टाइम्स :
वैज्ञानिकों ने चावल की ऐसी किस्म विकसित करने का दावा किया है, जिसे खाने से पहले पकाना आवश्यक नहीं होगा। इस चावल को केवल पानी में भिगोना जरूरी होगा। चावल की यह किस्म कटक (उड़ीसा) स्थित केंद्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) ने विकसित की है। संस्थान के निदेशक तपन कुमार आध्या ने आईएएनएस को दिए विशेष साक्षात्कार में कहा कि यह चावल पानी में भिगोने पर जल्दी ही नरम हो जाता है। देश में चावल का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है।
पिछले साल देश में 9.85 लाख टन चावल की पैदावार हुई थी। तपन ने कहा कि विकसित की गई चावल की नई किस्म से उपभोक्ता बिना किसी झंझट के तुरंत चावल पका लेंगे। तपन ने कहा कि संस्थान द्वारा विकसित नई किस्म ‘अग्निबोरा’ का 145 दिन तक परीक्षण किया गया। प्रत्येक हेक्टेयर भूमि से 4-4.5 टन चावल प्राप्त हुआ जो कि देश की चावल की अन्य किस्मों के बराबर पैदावार है। इसमें कोई अनुवांशिक परिवर्तन नहीं तपन ने कहा, “यह चावल सादा पानी में 45 मिनट तक भिगोने और हल्के गर्म पानी में 15 मिनट तक भिगोने से ही खाने के लिए तैयार हो जाता है, जबकि चावल की अन्य किस्मों को पकाने की आवश्यकता होती है।”
यह चावल असम के स्थानीय चावल ‘कोमल चावल’ की उन्नत किस्म है और इसमें कोई आनुवांशिक परिवर्तन नहीं किया गया है। चावल की यह किस्म देश में पैदा की जाने वाली किसी भी अन्य किस्म की तरह ही है। तपन ने कहा कि संस्थान ने पिछले तीन वर्षो के दौरान गहन शोध करके चावल के पोषक गुणों व अन्य जैवरासायनिक मानकों की जांच की है। उन्होंने कहा, “बीज उपलब्ध होने पर चावल की इस नई किस्म को किसान अपने खेतों में पैदा कर सकते हैं।” संस्थान के मुताबिक चावल की यह किस्म सभी पूर्वी राज्यों असम, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और तटीय आंध्र प्रदेश में पैदा की जा सकती है।