January 19, 2025     Select Language
Editor Choice Hindi KT Popular धर्म

मिट सकता है मंगली और गैर-मंगली शादियों का खौफ़, जाने इनके आसान उपाय

[kodex_post_like_buttons]

कोलकाता टाइम्स :      

ज्योतिष व नक्षत्र शास्त्र में मंगली दोष विद्यमान होते हैं। बहुत से ऐसे लोग जो अपने बेटे-बेटियों की शादी ढूंढ़ रहे होते हैं, उनकी सबसे बड़ी चिंता ये बन जाती है कि कहीं उनके बच्चों की कुण्डली में मंगली दोष तो नहीं और यदि ऐसा दोष मौजूद है फिर उनकी शादी के लिए उपयुक्त वर अथवा वधू का चयन कैसे किया जाए?

वस्तुतः मंगली दोष का जितना प्रभाव वर-वधू पर होता है उससे कहीं ज्यादा इसका खौफ़ कथित माननीय ज्योतिर्विदों द्वारा फैलाया जा चुका है। इस तथ्य की अवहेलना नहीं की जा सकती है कि यदि मंगली दोष युक्त वर या वधू की शादी समतुल्य दोष से पीड़ित वधू या वर से नहीं की गई तो ऐसे में उनका साथ रहना मुश्किल हो जाता है। यानि यदि किसी वर अथवा कन्या की कुण्डली इस दोष से पीड़ित है तो उसके लिए समान रूप से पीड़ित कन्या अथवा वर ही विवाह के लिए उपयुक्त होता है।

लेकिन ज्योतिष विशेषज्ञों ने इस विज्ञान का ऐसा दुरुपयोग आरंभ कर दिया कि भावी वर-वधू के माता-पिता इस चिंता में अपनी ही समस्या बढ़ा लेते हैं। आइए समझते हैं कि मंगली दोष क्या होता है और इस दोष से मुक्त कैसे हुआ जा सकता है। इसके अतिरिक्त इस आलेख में हम ये भी चर्चा करेंगे कि मंगली दोष वाली कुण्डली में अपवाद क्या-क्या हैं, जिससे ये दोष तो उस विशेष व्यक्ति के लिए कोई महत्व ही नहीं रखता।

यदि किसी जातक अथवा जातिका की कुण्डली में मंगल बारहवें, लग्न, द्वितीय, चतुर्थ अथवा स्वयं सप्तम अथवा अष्टम भाव में मौजूद हो तो ऐसे में उस कुण्डली में मंगली दोष उपस्थित होता है। इसके अलावा चन्द्रमा से मंगली तथा शुक्र से मंगली की पोजीशन भी देखनी चाहिए ताकि कुण्डली में मंगली प्रभाव का पूर्ण मूल्यांकन हो सके।

इसके साथ ही कुण्डली में मंगल की डिग्री(अंश), उसकी दीप्तावस्था, मुदितावस्था, अथवा उसकी जिस राशि में उपस्थिति है, उसके स्वामी की स्थिति आदि के विवेचन के बिना फलादेश कर देना कि अमुक व्यक्ति मंगली दोष से पीड़ित है, बुद्धिमानी नहीं कही जाएगी। जबकि होता यही है कि जब भी विवाह योग्य वर अथवा वधू के घर वाले किसी ज्योतिर्विद के पास जाते हैं, तो उनको ऐसा मंगली दोष पीड़ित बता दिया जाता है कि कई भावी और उचित जोड़ियां मिलने से पूर्व ही टूट जाती हैं।

एक उदाहरण सहित समझिए: तुला लग्न की कुण्डली में यदि मंगल अष्टम भाव में मौज़ूद हो तो प्रथम दृष्टतया आधुनिक ज्योतिषी पूर्ण मंगली करार देकर उस जातक अथवा जातिका से विवाह के लिए केवल समान रूप से मंगली प्रभावित वर या कन्या का अनुमोदन करते हैं।

वस्तुतः यह एक नासमझी व अल्प ज्ञान की बात हुई। क्योंकि जब तुला लग्न की कुण्डली में मंगल अष्टम भाव में होगा तो वह वृष राशि पर बैठा होगा। वृहत जातक तत्वम् इस की पूर्णतया पुष्टि करता है कि वृष का मंगल मंगली दोष से मुक्त होता है। यानि ऐसे में उस संबंधित जातक की शादी गैर-मंगली व्यक्ति से कराना उचित होगा। जबकि गणमान्य ज्योतिषी अक्सर इसका उल्टा करवा देते हैं और संबंधित वर-वधू का पूरा वैवाहिक जीवन प्रभावित हो जाता है।

इसके साथ ही मंगली दोष के परिमार्जन के अनेक शास्त्रीय उपाय भी हैं ।

नवग्रहों में मंगल एक ऐसा ग्रह है जो कि ना केवल क्रूर है बल्कि उसे लेकर हर जातक को भय भी रहता है। भूमि पुत्र होने से मंगल को कृषि से जुड़ी चीजों का भी कारक माना जाता है, लेकिन साहसी और नव ग्रहों में सूर्य के बाद सेनापति की संज्ञा दिए जाने के कारण मंगल को पराक्रम साहस और शूरता का अधिपति ग्रह भी माना जाता है। मंगल शरीर में रक्त का कारक होता है अत: ज्योतिष शास्त्र में मंगल को लाल रंग का प्रतिनिधित्व करने वाला ग्रह माना जाता है।

कुंडली में यदि मंगल दोष है जिसकी वजह से व्यक्ति को विवाह संबंधी परेशानियों, रक्त संबंधी बीमारियों और भूमि-भवन के सुख में कमियां रहती हैं। कुंडली में जब लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव और द्वादश भाव में मंगल स्थित होता है तब कुंडली में मंगल दोष माना जाता है। जानें- मंगल दोष का निवारण करने के लिए कौन-कौन से उपाय आजमाने चाहिए-

आपकी कुंडली में है मंगल दोष तो अपनाएं ये उपाय!

1-हर मंगलवार को मंगलदेव की विशेष पूजन करना चाहिए। मंगलदेव को प्रसन्न करने के लिए उनकी प्रिय वस्तुओं जैसे लाल मसूर की दाल, लाल कपड़े का दान करना चाहिए।

2- जिन लोगों की कुंडली में मंगलदोष है उनके द्वारा प्रतिदिन या प्रति मंगलवार को शिवलिंग पर कुमकुम चढ़ाया जा सकता है। इसके साथ ही शिवलिंग पर लाल मसूर की दाल और लाल गुलाब अर्पित करें।

3- मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थिति मंगलनाथ में जहां भारत का एकमात्र पृथ्वी माता का मंदिर भी है वहां पर मंगल दोष के वारण के लिए पूजा की जाती है। मंगल की पूजा अपनी पत्रिका या कुंडली में स्थिति मंगल दोष के अनुसार और किसी जानकार ज्योतिषि की सलाह के अनुसार की जानी चाहिए।

4- मंगल दोष के निवारण के लिए मूंगा रत्न भी धारण किया जाता है। रत्न जातक की कुंडली में मंगल के क्षीण अथवा प्रबल होने या अंश के अनुसार उसकी डिग्री के हिसाब से पहना जाता है। किसी भी रत्न का मानक रत्ती के हिसाब से होता है अत: कुंडली में मंगल की स्थिति महादशा, अंतरदशा और प्रत्यंतर दशा के अनुसार रत्ती के हिसाब से मूंगा धारण करना चाहिए।

5-कुंडली में यदि मंगल नीच का है अथवा बहुत ही कम डिग्री का है तो मंगल दोष के निवारण के लिए मंगल के जाप भी किए जा सकते हैं। इसके लिए मंत्र ऊं भौम भौमाय नम: अथवा किसी जानकार ज्योतिषी के अनुसार करना चाहिए। इसके अलावा मंगलवार का व्रत भी किया जा सकता है। और मंगलवार को मंगल ग्रह से जुड़ी लाल वस्तुओं का दान भी किया जा सकता है।

Related Posts