July 3, 2024     Select Language
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आज ऐसा करने से सिर्फ दाम्पत्य सुख ही नहीं सुख-सौभाग्य और ऐश्वर्य की वृद्धि होगी 

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कोलकाता टाइम्स :

कुछ ग्रह ऐसे होते हैं जिनके कुप्रभाव से हम सब कई सुख से वंचित रह जाते हैं, ऐसे हीं एक ग्रह है शुक्र । शुक्र के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए और शुक्र को प्रसन्न करने के लिए शुक्रवार का व्रत करना फलदायक है। यह व्रत अविवाहित स्त्री-पुरुष हेतु मनोकामना सिद्धि प्रदायक तथा दाम्पत्य सुख वर्धक है ।

यह व्रत स्त्री-पुरुष एवं कुमार-कुमारी सभी वर्ग हेतु फ़लप्रदायक है। इस व्रत को निम्न तरीके से पूर्ण श्रद्धा के साथ करे।

शुक्रवार व्रत विधि :

शुक्रवार का व्रत किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम शुक्रवार से प्रारंभ करे और 21 या 31 शुक्रवार तक करे।

शुक्रवार के दिन प्रात: स्नान आदि करके सफ़ेद वस्त्र धारण करे एवं यथासंभव सफ़ेद वर्ण की गाय के दर्शन तथा सर्वप्रथम 1 या 2 कन्या के दर्शन करे और श्रीफ़ल प्रदान करे। तथा “ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:” इस बिज मंत्र का यथाशक्ति जाप करे।

इस दिन भोजन में दुध, दही, चावल, खीर, घी, साबुदाना, सफ़ेद मावा के पदार्थ, केला, जुवार, गेहु की रोटी आदि सफ़ेद वस्तुमात्र का ही सेवन करे. तथा अन्य कोइँ भी पदार्थ सेवन ना करे.इस दिन रात्रिशयन भी सफ़ेद चादर पर ही करे।

अंतिम शुक्रवार को हवन क्रिया के पश्चात 6 कन्याओ को उपरोक्त वस्तुओ का भोजन कराये तथा दक्षिणा स्वरूप सफ़ेद वस्त्र रुमाल, श्रुंगारिक वस्तु, चांदी का यथाशक्ति अनुदान करे।

व्रत कब नष्ट नहीं होता है : व्रत के दिन जल, सभी प्रकार के फल, दूध एवं दूध से बने पदार्थ या औषध सेवन करने से व्रत नष्ट नहीं होता है।

व्रत कब नष्ट होता है : व्रत के दिन एक बार भी पान खाने से, दिन के समय सोने से, स्त्री रति प्रसंग आदि से व्रत नष्ट होता है।

शुक्र का व्रत 31 या 21 शुक्रवारों तक करना चाहिए।

श्वेत वस्त्र धारण करके ‘ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:’ इस मंत्र का 21, 11 या 5 माला जप करें। भोजन में चावल, चीनी, दूध, दही और घी से बने पदार्थ सेवन करें। इस व्रत के करने से सुख-सौभाग्य और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है।शुक्र ग्रहों में सबसे चमकीला है और प्रेम का प्रतीक है। अपने जीवनसाथी को कष्ट देने, किसी भी प्रकार के गंदे वस्त्र पहनने, घर में गंदे एवं फटे-पुराने वस्त्र रखने से शुभ-अशुभ फल देता है।

शुक्र ग्रह भोग-विलास, सांसारिक सुख, प्रेम, मनोरंजक, व्यवसाय, पत्नी का कारक ग्रह है। मूत्राशय, चर्म संबंधी बीमारी से इसका सीधा संबंध है।अपने भोजन को जूठा करने से पूर्व कुछ भाग गाय का निकालें।

चांदी, चावल, दूध, दही, श्वेत चंदन, सफेद वस्त्र तथा सुगंधित पदार्थ किसी पुजारी की पत्नी को दान करें।

घर में तुलसी का पौधा लगाएं और उसकी पूजा करें। श्वेत चंदन का तिलक करें।

पानी में चंदन मिलाकर स्नान करें। चांदी का टुकड़ा या चंदन की लकड़ी नदी या नहर में प्रवाहित करें।

सुगंधित पदार्थ का इस्तेमाल करें। संतान प्राप्ति के चाहवान दंपति हरसिंगार का पौधा घर में लगाएं तथा उसको ऐसे सींचे, जैसे अपने छोटे बच्चे की देखभाल करते हैं।

शुक्रवार के दिन व्रत रखें।खीर कौओं और गरीबों को खिलाएं।

शुक्रवार के दिन सफेद गाय को आटा खिलाना चाहिए।किसी काणे व्यक्ति को सफेद वस्त्र एवं सफेद मिष्ठान्न का दान करें।

शुक्रवार के दिन गौ-दुग्ध से स्नान करना चाहिए।शुक्र बलवान होने पर सिले हुए सुंदर वस्त्र, सेंट (परफ्यूम) और आभूषण उपहार में नहीं देने चाहिए। शुक्र से संबंधित वस्तुओं जैसे सुगंध, घी और सुगंधित तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

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