क्वारेंटाइन किए ‘कुम्भकर्ण’ को खिलाने में अधिकारीयों का छूटा पसीना
इस क्वारेंटाइन सेंटर्स की बदहाली के लिए यह एक युवा ही काफी है। जब एक शख्श को 20 के बराबर खिलाना पड़े तो क्या हाल होगा। कहानी बक्सर के 21 साल के युवा अनुप ओझा की है जो इन दिनों अपने भोजन को लेकर पूरे देश में चर्चा का केंद्र बने हैं।
जब अनूप परदेश से लौटने के बाद अपने इलाके के एक स्कूल में क्वॉरेंटाइन किए गए तो उनका खाना देखकर अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक के पसीने छूटने लग गए। दरअसल 21 साल का यह नौजवान एक बार में 10 लोगों के बराबर खाना खाता है। बात चाहे रोटी की हो या फिर चावल की अनुप का डाइट आम आदमी से 10 गुना है। हद तो तब हो गई जब अनूप ने सेंटर पर एक दिन रात के भोजन में बिहार के मशहूर भोजन यानी लिट्टी-चोखा के मेन्यू में 85 लिट्टियां हजम कर ली।
अनुप आम तौर पर भी एक बार में आठ-दस प्लेट चावल या 35-40 रोटी के साथ दाल-सब्जी खाते हैं। बक्सर के मंझवारी के राजकीय बुनियादी विद्यालय में बने क्वारेंटाइन केंद्र में रह रहे प्रवासी युवक अनुप ओझा का भोजन जुटाने में विभाग से ज्यादा रसोईयों का पसीना छूटता है खास कर रोटियां बनाने में। युवक की डायट को लेकर गड़बड़ी की आशंका हुई तो खुद अंचलाधिकारी भी युवक से मिलने पहुंचे लेकिन उसका खाना देख वो भी दंग रह गए।
अनुप बक्सर जिला के ही सिमरी प्रखंड के खरहाटांड़ गांव निवासी हैं। और एक सप्ताह पहले ही अपने घर जाने के क्रम में क्वारंटाइन केंद्र में आए हैं. परिजनों ने बताया कि अनुप लॉकडाउन से पहले राजस्थान रोजी-रोटी की तलाश में गए थे लेकिन इसी दौरान पूरा देश लॉकडाउन हो गया और वो डेढ़ महीने से ज्यादा समय तक राजस्थान में ही फंसे रहे।
अनुप जिस केंद्र में हैं वहां 87 प्रवासी रह रहे हैं, लेकिन खाना 100 से अधिक लोगों का बनता है कारण अनुप का खानपान। अनुप के गांव के लोगों की भी कहना है कि वो शुरू से ही अधिक खाते हैं।