कभी की है तीखी मिर्च से मालिश
कई तरह की मसाज के के बारे में आपने सुना होगा पर कभी मिर्च मसाज के बारे में सुना है? शायद ही सुना होगा पर आज-कल मिर्ची मालिश का चलन बढ़ है, उसकी वजह है इसके विशिष्ट गुण।
वैसे तो मिर्च का तीखा स्वाद आपके दिमाग को हिलाकर रख देता है पर वहीँ मिर्च के इसी गुण का इस्तेमाल कर मांसपेशियों को आराम भी दिया जा सकता है। इंसान समेत कई जीवों के शरीर में कई खास किस्म के रिसेप्टर होते हैं। इन्हीं में से एक है पॉलीमोडल नोसिसेप्टर. यह रिसेप्टर जीभ, नाक, आंख और त्वचा की कोशिकाओं में पाया जाता है। बहुत ज्यादा गर्मी होते ही पॉलीमोडल नोसिसेप्टर एक्टिव हो जाते हैं। मिर्च में कैप्सेसिन और पाइपराइन नाम के रसायन होते हैं. ये रसायन पॉलीमोडल नोसिसेप्टर के संपर्क में आते ही तेज गर्मी पैदा करने लगते हैं और हमें मिर्ची लगने लगती है।
मिर्च के उलट पुदीना खाने पर ये रिसेप्टर ठंडे होने लगते हैं और मुंह और गले में ठंडक का अहसास होता है। असल में यह रिसेप्टर तामपान और खान पान के मामले में हमारे दिमाग को संदेश भेजते हैं। मिर्च और मिंट इन्हीं रिसेप्टरों को उलझा देते हैं।
आज मिर्च की जलन का इस्तेमाल दवाओं में भी खूब किया जाता है। मिर्च मांसपेशियों की समस्याओं के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। तीखी मिर्च को तेल में डेढ़ से दो महीने भिगो दीजिए। इसके बाद इस तेल से सख्त हो चुकी या दर्द कर रही मांसपेशियों की मिर्च मालिश कीजिए। मालिश के साथ ही तेल में घुला कैप्सेसिन और पाइपराइन असर दिखाएगा और त्वचा और मांसपेशियों में गर्मी पैदा करने लगेगा. इससे रक्त प्रवाह बेहतर होगा और दर्द और ऐंठन से आराम मिलेगा।