यह 25 वा मिनट आपको बना सकता है इंफर्टिल
कोलकाता टाइम्स :
जो लोग दिनभर मोबाइल में लगे रहते हैं। उन लोगों के लिए एक बुरी खबर हैं। मोबाइल पर अधिक समय बिताने से प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। कई शोध इस बात को पुख्ता कर चुके हैं कि मोबाइल और उनके टॉवर से निकलने वाली रेडिएशन पुरुषों में स्पर्म काउंट कम करती है और महिलाओं में प्रजनन क्षमता यानी फर्टिलिटी को कम कर देती है। सिर्फ इतना ही नहीं मोबाइल रेडिएशन से ब्रेन ट्यूमर का भी खतरा हो सकता है।
रिसर्च रिसर्च कहते हैं कि मोबाइल रेडिएशन से लंबे समय के बाद प्रजनन क्षमता में कमी, कैंसर, ब्रेन ट्यूमर और मिस-कैरेज की आशंका भी हो सकती है। दरअसल, हमारे शरीर में 70 फीसदी पानी है। दिमाग में भी 90 फीसदी तक पानी होता है। यह पानी धीरे-धीरे बॉडी रेडिएशन को अब्जॉर्ब करता है और आगे जाकर सेहत के लिए काफी नुकसानदेह होता है।
डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के मुताबिक मोबाइल से कैंसर तक होने की आशंका हो सकती है। इंटरफोन स्टडी में कहा गया कि हर दिन आधे घंटे या उससे ज्यादा मोबाइल का इस्तेमाल करने पर 8-10 साल में ब्रेन ट्यूमर की आशंका 200-400 फीसदी बढ़ जाती है।
रिसर्च के अनुसार 24 घंटे में सिर्फ 24 मिनट तक मोबाइल फोन का इस्तेमाल सेहत के लिहाज से ठीक है। क्योंकि ये अहम है कि आपके मोबाइल की SAR वैल्यू क्या है? ज्यादा SAR वैल्यू के फोन पर कम देर बात करना कम SAR वैल्यू वाले फोन पर ज्यादा बात करने से ज्यादा नुकसानदेह है।
लंबे वक्त तक बातचीत के लिए लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल रेडिएशन से बचने का आसान तरीका है। इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि ऑफिस या घर में लैंडलाइन फोन का इस्तेमाल करें। कॉर्डलेस फोन के इस्तेमाल से बचें। पर्यावरण पर भी असर केरल में की गई एक रिसर्च के अनुसार सेल फोन टॉवरों से होनेवाले रेडिएशन से मधुमक्खियों की कमर्शल पॉप्युलेशन 60 फीसदी तक गिर गई है। सेल फोन टावरों के पास जिन गौरेयों ने अंडे दिए, 30 दिन के बाद भी उनमें से बच्चे नहीं निकले, जबकि आमतौर पर इस काम में 10-14 दिन लगते हैं। डब्ल्यूएचओ की एक रिसर्च में खुलासा हुआ कि मोबाइल रेडिएशन से कैंसर होने का खतरा है।