June 26, 2024     Select Language
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कुत्ते की आवाज निकालकर ऑडिशन देकर बन गए सितारा  

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कोलकाता एमएस : 
कैस्टो मुखर्जी का नाम जब-जब आता तब लोग इस बात का अंदाजा लगा लेते कि फिल्म में जरूर कोई शराबी का किरदार होगा. लेकिन ये बहुत कम लोग जानते हैं कि फिल्मों में अक्सर ‘टल्ली’ का किरदार निभाने वाले कैस्टो ने असल जिंदगी में कभी शराब को हाथ भी नहीं लगाया. वह तो चाय-पानी पाने वालों में से एक थे. 7 अगस्त 1925 को उनका जन्म कलकत्ता (कोलकाता) में हुआ था.

भारतीय सिनेमा में कई कॉमेडियन ने अपनी बेहतरीन एक्टिंग से दर्शकों को खूब हंसाया. जॉनी वॉकर, महमूद, राजेंद्रनाथ, टुनटुन, असरानी, जगदीप जैसे दिग्गज कलाकारों के बीच कुछ कलाकार ऐसे भी हुए, जिनका काम कम होता था, लेकिन उनकी अदाकारी का बातें आज भी होती हैं. कैस्टो मुखर्जी उन्हीं कलाकारों में से एक हैं.

फिल्मों में इन्हें महान डायरेक्टर ऋत्विक घटक ने पहली बार मौका दिया. उनकी पहली बंगाली फिल्म ‘नागरिक’ थी, जिसमें कैस्टो मुखर्जी ने बड़ा अच्छा रोल निभाया था. इसके बाद उन्होंने हिंदी फिल्म में अपने कदम बढ़ाएं और फिर जबरदस्त फिल्म मेकर ऋषिकेश मुखर्जी ने इन्हें ‘मुसाफिर’ में एक मौका दिया. कैस्टो हिंदी और बंगाली दोनों फिल्मों का हिस्सा बने रहे.

काम के सिलसिले में जब कैस्टो बंबई में भटक रहे थे, तब उनकी मुलाकात महान निर्देशक बिमल रॉय से हुई, जिन्होंने परिणीता, बिराज बहु, मधुमती, सुजाता, परख, बंदिनी जैसी कई फिल्में बनाईं. कैस्टो उनके सामने खड़े हो गए. उन्होंने कैस्टो को ऊपर से नीचे तक देखा और पूछा- क्या है? तब कैस्टो ने उनसे कहा, ‘साहब मेरे लायक कोई काम है तो बता दीजिए’.

कैस्टो मुखर्जी की ये बात सुनकर बिमल दा बोले अभी तो कुछ नहीं है, फिर कभी आना, लेकिन काम के लिए परेशान कैस्टो वहां से हिले नहीं और टक टकी  लगाए लगातार बिमल रॉय को देखते रहे. कैस्टो को देख उन्हें बेहद गु्स्सा आया. उन्होंने गुस्से में कहा कि अभी एक कुत्ते की जरुरत है, क्या तुम भौक सकते हो? कैस्टो काम के नाम पर कुछ भी कर सकते थे, उन्होंने तुरंत इसके लिए हामी भरी और बोले हां मैं कर सकता हूं. एक बार मौका देकर देखिए. थोड़ी ही देर में उन्होंने कुत्ते की आवाज निकाली और बिमल दा ने उन्हें फिल्म में काम दे दिया.

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