फिल्मों पर लगाए जाने वाले ‘u’ तो सुना है, लेकिंग इसका मतलब भी जानते हैं
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कोलकाता टाइम्स :
जब भी आप अपने घर या थिएटर में फिल्म देखते हैं, तो फिल्म शुरू होने से पहले सेंसर बोर्ड का सर्टिफिकेट दिखाया जाता है। अधिकतर लोग इस सर्टिफिकेट की तरफ ध्यान नहीं देते, लेकिन क्या आपको मालूम है कि इस सर्टिफिकेट का क्या महत्व है और इस सर्टिफिकेट पर क्या लिखा होता है। फिल्म के लिए यह सर्टिफिकेट क्यों जरूरी है। आज हम आपको इस बारे में बताने जा रहे हैं कि आखिर इस सर्टिफिकेट व इस पर लिखे कुछ शब्दों का महत्व क्या है।
एक फिल्म निर्माता की सारी मेहनत सेंसर बोर्ड के हाथ में होती है, हर एक रिलीज होने वाली फिल्म पर सेंसर बोर्ड का ध्यान होता है ताकि कोई भी ऐसा संदेश फिल्मों के जरिए लोगों तक न पहुंचे जिससे देश की शांति भंग हो। सेंसर बोर्ड के सर्टिफिकेट के बाद ही फिल्म रिलीज होती है।
भारत में फिल्मों को 4 तरह के दिए जाते है सर्टिफिकेट
- ‘अ/U’ सर्टिफिकेट की फिल्म को हर उम्र के लोग देख सकते है।
- ‘अव/UA’ अगर सर्टिफिकेट पर अव लिखा है तो इसका अर्थ है कि 12 साल से कम उम्र के बच्चे इस फिल्म को माता-पिता के निर्देशन में देख सकते हैं।
- ‘व/A’ अगर फिल्म को व सर्टिफिकेट मिला है तो मतलब 18 साल से कम उम्र के लोगों के लिए ये फिल्म अनुकूल नहीं है।
- ‘S’ जिन फिल्मों को S सर्टिफिकेट मिलता है, वो स्पेशल ऑडियंस के लिए होती हैं जैसे डॉक्टर या साइंटिस्ट।