May 18, 2024     Select Language
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नींद नहीं आती, वजह आपके पूर्वज तो नहीं

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कोलकाता टाइम्स :
कुछ लोग रात को ज्यादा चौकन्ना महसूस करते हैं। वहीं कुछ लोगों की आंखें अंधेरा होने के साथ ही बंद होने लगती हैं. अगर आप ऐसा महसूस करते हैं तो इसके लिए आपके पूर्वज ज़िम्मेदार हैं। यह बात एक नए शोध में सामने आई है। यह स्टडी कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय और अमरीका के नेवाडा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मिलकर की है।

शोधकर्ताओं के अनुसार ऐसा इसलिए होता है कि क्योंकि सदियों पहले जब रात को हमारे पूर्वज सोया करते थे, तो कुछ लोगों का समूह जानवरों से उनकी सुरक्षा के लिए जागता था। यही आदत हमें उनसे मिली है. तंजानिया में शिकार करने वाली जनजाति पर शोध यह शोध तंज़ानिया में शिकार करने वाले जनजातियों पर किया गया है जिसमें उनके सपनों का भी अध्ययन शामिल है। शोध के लिए हज़दा जनजाति के लोगों को 20 और 30 के समूह में बांटा गया था। शोधकर्ताओं की टीम के लीडर डेविड सैमसन ने कहा, “200 घंटों के विश्लेषण में पता चला कि रात को जागने वाले लोग महज 18 मिनट ही सोए।” सैमसन आगे कहते हैं, “औसतन 8 युवा रात के अलग-अलग पहरों में चौकन्ने पाए गए, जो युवा आबादी का 40 फ़ीसदी है. उनके सोने की तरीक़े बहुत ही चकित करने वाले थे।”
शोध में यह बात पहले भी सामने आ चुकी है कि लोगों की जगने और सोने की 40 से 70 फ़ीसदी आदतें उनकी पीढ़ियों से तय होती है। बाक़ी वातावरण और उम्र से प्रभावित होती है। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि नींद को सबसे ज्यादा प्रभावित करने वाली चीज़ व्यक्ति की उम्र है। इसके अलावा वातावरण की नमी, हवा और अन्य चीजें भी लोगों की सोने की आदतों को प्राभावित करती हैं। सैमसन ने कहा, “जब आप युवा होते हैं तो रातों में ज्यादा जागते हैं।

यह संभव है कि आप सुबह के मुकाबले रात को ज़्यादा काम कर पाएँ।” कॉफी पीने से लंबी हो सकती है आयु! महिलाओं और सेक्स पर बीयोंसे के नज़रिए पर शोध दिन के समय पुरुषों को महिलाओं से अलग रखा गया था. वे फल तोड़ने और जानवरों का शिकार करने के लिए सवाना के जंगलों में गए थे। रात को वे सभी साथ मिलकर आग के नजदीक और झोपड़ियों में सोया करते थे। इन जनजातियों की ज़िदगी में कोई ख़ास बदलाव नहीं आया है और आज भी उनकी ज़िंदगी अपने पूर्वजों जैसी है और जंगल के माहौल में भी कोई बदलाव नहीं आया है इसलिए शोधकर्ताओं इस काम के लिए उन्हें चुना था।

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