अब आप नहीं डरेगा डर, इसे पढ़के तो देखिये…
सबसे पहले बात करते हैं आवाजों की जो इंसान को सबसे ज्यादा डरा देती हैं। ये आवाजें ही होती हैं जिनसे इंसान के अंदर एक खौफ हो जाता है कि पता नहीं किस चीज की आवाज है।
डरावनी आवाजें : आपने कई बार कुछ ऐसा सुना होगा जो आपको डराने के लिए काफी होगा। लेकिन गौर करें तो वहां हवा या हवाओं की वजह से होने वाली आवाजों से ज्यादा कुछ भी नहीं होता। फिल्मों में आवाजों से डराना एक आम बात है और यही आवाजें आपके दिमाग में बैठ जाती हैं जो डराने का काम करती हैं।
कुछ डरावना देखने के साथ साथ आवाजें भी सुनना : ये भी आपके ज्यादा डरावनी फिल्मों को देखने का नतीजा है। हमारा दिमाग कई बार ऐसा कुछ करता है जो उसने पहले कभी देखा या सुना हो। जिससे आंखे खुद एक तस्वीर तैयार करती हैं और आपको भूत देखने का एहसास होता है।
सोते समय किसी का एहसास होना : आपमें से कितने ऐसे लोग होंगे जिसने सोने के बाद किसी को अपने आस-पास होने का एहसास किया होगा। दरअसल होता कुछ यूं है कि जब आप सोते हैं तो कई बार आपका दिमाग आपको Paralysis की स्थिती में पहुंचा देता है। ऐसी स्थिती में आपका दिमाग खुद ही एक तस्वीर तैयार करता है और उसे हम भूत समझ लेते हैं।
सफेद कपड़ों में किसी को देख लेना : कुछ लोग भूत देखने के दावे करते हैं। उनके मुताबिक भूत ने सफेद रंग के कपड़े पहने होते हैं। दरअसल ऐसी आकृति भी हमारा दिमाग बनाता है। हमारी आंखों ने भूत को कभी भी सामने से नहीं देखा होता है। ये हमारी आंखों का धोखा होता है जो हमारा दिमाग खुद तैयार करता है।
भूतिया घर : घर में भूत होने के किस्से हमने कई बार सुने होंगे। लेकिन इसका सच हम आपको एक उदाहरण के साथ समझाते हैं। साल 1912 में एक अमेरिकी परिवार ने अपना नया घर लिया। कुछ समय बाद वहां रहने वाले सभी लोगों ने घरों में परछाई देखने की बात की, साथ ही वहां रह रहे बच्चे भी बीमार रहने लगे। उनको लगा घर में जरूर कुछ ऊपरी ताकत है।
10 साल तक यही किस्सा चलता रहा। घर को भूतिया घोषित कर दिया गया। लेकिन एक दिन खुलासा हुआ कि उस घर में Carbon Monoxide गैस आ रही है। जिससे उस घर में ऑक्सिज़न की मात्रा कम है। ऐसे में दिमाग उतना सक्रिय नहीं होता जितना एक आम इंसान के दिमाग को होना चाहिए, और यही वजह थी उस घर में रहने वालों के लिए बीमार होने और परछाईयां दिखने की।
कहा जाता रहा है कि जहां भूत होते हैं वह जगह ज्यादा ठंडी होती है। दरअसल ऐसा कुछ नहीं है। ये सिर्फ उस जगह पर गर्म हवा के दबाव से ठंडी हवा का दवाब कम होना होता है, जिसके कारण उस जगह पर नमी होती है और वो जगह ज्यादा ठंडी होती है।
सुनसान रास्ते पर डर लगना : हमें डराने वाला कोई नहीं, सिर्फ हमारा दिमाग होता है। सुनसान रास्तों पर जब हम अकेले हों तो हमारी सोच अकसर गलत हो जाती है और हम डरावनी बातें याद करने लगते हैं। ऐसे में हमें डर लगना लाजमी है। लेकिन अगर हम कुछ और सोचने लगें तो ये डर खुद-ब-खुद गायब हो जाता है।
खैर, डरना लगना इंसान की फितरत में होता है लेकिन इससे बचा जा सकता है फिर देखिए क्या होता है।