डायबिटीज में चावल ? गलत जानते हैं
कोलकाता टाइम्स :
डायबिटीज के मरीजों के अच्छी खबर है। देश में पाया जानेवाला ज्यादातर चावल उनके लिए खतरनाक नहीं है। वैज्ञानिकों के मुताबिक भारत में पाए जानेवाले चावल में ग्लेसेमिक इंडेक्स ( जीआई) की मात्रा कम है। चावल में पाया जाने वाली जीआई की मात्रा से तय होता है कि खून में सुगर की मात्रा कितनी तेजी से बढ़ेगी।
भारत में आमतौर पर सबसे ज्यादा प्रचलित स्वर्णा और मंसूरी में जीआई लेवल कम है। इसमें जीआई लेवल 55 से कम है। सबसे ज्यादा जीआई की मात्रा लाओस के चावल में पाई गई है। बासमती में भी जीआई कम है. लेकिन मंसूरी और स्वर्णा से ज्यादा है। यह शोध क्वींसलैंड के चावल शोध संस्थान ने किया है। गौरतलब है दुनिया में 33 करोड़ लोगों को डायबिटीज है।
हालांकि डाक्टरों ने सावधान किया है। कहा है कि चावल वही लगातार खा सकते हैं जो मेहनत करते हों। जो ज्यादा मेहनत नहीं करते वे कम चावल का इस्तेमाल करें। हालांकि इससे पहले के शोधों में बताया गया था कि चावल डायबिटीज में खतरनाक है। हाल ही में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि सफेद चावल खाने से डायबिटीज जैसी घातक बीमारी हो सकती है। शोधकर्ताओं का कहना था कि चावल को मांस या सोयाबीन के साथ खाने से रक्त में शर्करा की मात्रा पर असर पड़ सकता है और डायबिटीज के लिए खतरनाक है।