July 3, 2024     Select Language
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टुटा यूक्रैन इन अहम सैनिकों का हौंसला, 83 दिनों के लड़ाई के के किया रूसी फौज के सामने सरेंडर

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कोलकाता टाइम्स : 
रूस की शक्तिशाली सेनाओं से 83 दिनों तक टक्कर के बाद आखिरकार मारियुपोल शहर यूक्रेन के हाथ से निकल गया. इस शहर के स्टील प्लांट की सुरंगों में रहकर हमले कर रहे यूक्रेनी सैनिकों ने रूसी फौज के सामने सरेंडर कर दिया, जिसके बाद उन्हें हिरासत में लेकर रूसी सेना ने अपने ठिकाने पर भेज दिया है. मारियुपोल की जीत के साथ ही रूस को अपने कब्जे वाले इलाके क्रीमिया को जमीनी मार्ग से जोड़ने का सुरक्षित ठिकाना भी मिल गया है.
‘न्यूयार्क टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक मारियुपोल शहर रूस (Russia) के लिए कई मायनों में खासा अहम था. दरअसल क्रीमिया में पीने के साफ पानी की कमी है. उसे यह पानी मारियुपोल  से गुजरने वाली नदी से मिलता था. लेकिन वर्ष 2014 में क्रीमिया पर रूसी कब्जे के बाद यूक्रेन ने इस नदी के पानी की नहर के रास्ते क्रीमिया जाने से रोक दिया था. जिसके बाद से वहां पर लगातार जलसंकट बना हुआ था. अब मारियुपोल पर कब्जे के साथ ही क्रीमिया में मीठे पानी की समस्या हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी.

दूसरी वजह ये थी कि रूस यूक्रेन के पूर्वी इलाके, जिसे डोनबास कहा जाता है. उसे यूक्रेन से कर देना चाहता है. इन दोनों इलाकों तक अपनी समुद्र के रास्ते फौज भेजने के लिए बंदरगाह शहर मारियुपोल अहम गेटवे था. इसलिए इस पर पूरी तरह कब्जा किए रूसी सेना सुगमता से आगे नहीं बढ़ सकती थी.

तीसरी वजह ये थे कि मारियुपोल के जरिए ही यूक्रेन समुद्री व्यापार करता था और यहीं से उसकी नेवी ऑपरेट करती थी. इस शहर पर संपूर्ण कब्जे से यूक्रेन के हाथों से समुद्री व्यापार और नेवी के संचालन का रास्ता लगभग बंद हो गया है.

इन तीनों कारणों की वजह से रूसी सेना पिछले 3 महीने से मारियुपोल पर ताबड़तोड़ हमला बोल रही थी. भारी भरकम हथियारों और सैनिकों की अधिक तादाद के चलते रूसी फौजों ने शहर के बड़े हिस्से को जीत लिया था. लेकिन शहर के बाहर करीब 11 किलोमीटर इलाके में फैला स्टील प्लांट उसके लिए मुसीबत बना हुआ था. इस इलाके में सोवियत काल की दर्जनों सुरंगे बनी हुई हैं. जिनमें छिपकर यूक्रेनी सैनिक अपना बचाव और रूसी फौजों पर हमला कर रहे थे.

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