November 23, 2024     Select Language
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हाइपोथायरायडिज्म के इलाज के 15 नेचुरल तरीके

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कोलकाता टाइम्स :

आपकी थायराइड ग्रंथि, उर्जा और पाचन की मुख्य ग्रंथि है। यह एक मास्टर लीवर की तरह है जो कि ऐसे जीन्स का स्त्राव करती है जिससे कोशिकाएं अपना कार्य ठीक प्रकार से करती हैं। हाइपोथायरायडिज्म, या कम थायराइड दोनों ही धीरे फैलने वाली बीमारियाँ हैं। लोग कई सालों से इनके लक्षणों से पीड़ित हैं लेकिन हमारी पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली में इसका कोई इलाज नहीं है और इसे सही ट्रीट नहीं किया जाता क्यूँ कि जो शिकायतें आती हैं वो छुट – पुट और अस्पष्ट आती है। यहाँ तक कि इस बीमारी के लिए कोई गोली भी नहीं है। इसमें गलत यह है कि ज्यादातर मामलों में हाइपोथायरायडिज्म शुरू में थायरॉयड की समस्या के रूप में पैदा नहीं होती है।

इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी से इसकी शुरुआत होती है लेकिन ज्यादातर डॉक्टर एंटी बॉडी टेस्ट नहीं करते हैं जिससे ऑटो इम्युनिटी दिखाई देती है।  इसलिए, थायराइड का इलाज करने के लिए, आपको असंतुलन की जड़ तक जाना जरूरी है, दवा लेते हुए लक्षणों को बढ़ते हुए देखना तो एक गलत दिशा में जाने जैसा है ।

आपका रोग प्रतिरोधक आहार हाइपोथायरायडिज्म से बचने की पहली शुरुआत है आपके खान पान में बदलाव। हाइपोथायरायडिज्म में कई लोगों को थकान और मानसिक सुन्नता होती है जो कि आपको शुगर या कैफीन जैसे गैर- पोषक आहार लेने को प्रेरित करती है जो कि गलत है। शुगर और कैफीन का सेवन कम कर दें शुगर और कैफीन का सेवन कम या बंद कर दें, साथ ही आटा जैसे रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट का सेवन भी कम करें, इससे भी शुगर की मात्रा बढती है। अनाज वाले कार्बोहाइड्रेट पदार्थों का सेवन कम करें और कम स्टार्च वाली सब्जियां खाएं जो कि हार्ट के लिए लाभकारी हैं।

प्रोटीन का ज्यादा सेवन करें 

प्रोटीन आपके शरीर के सभी अंगों में थायराइड हार्मोन संचार करता है । रोजाना के खाने में इसे शामिल करके थायराइड की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। बादाम, अखरोट, हार्मोन और एंटीबायोटिक मुक्त पशु उत्पाद (जैविक, घास खाने वाले पशु का मांस, अंडे, पोषित और फार्मी मछली) फलियाँ आदि प्रोटीन के अच्छे स्त्रोत हैं।

फैट अच्छा

फैट अच्छा है लेकिन कोलेस्ट्रॉल हार्मोनल बिमारियों की और ले जाने वाला रास्ता है। यदि आपका फैट और कोलेस्ट्रॉल असामान्य रूप से बढ़ रहा है तो आप हार्मोनल असंतुलन को गले लगा रहे हो जिसमें थायराइड मुख्य है।

जैतून का तेल, घी, नाशपाती, सन बीज, मछली, बादाम और अखरोट, हार्मोन और एंटीबायोटिक मुक्त फैट वाला पनीर, दही, पनीर और नारियल का दूध ये सभी प्राकृतिक और स्वस्थ फैट के स्त्रोत हैं।

पोषक तत्‍व लें हालाँकि पोषक तत्वों की कमी से थायराइड नहीं होता है, लेकिन इन पोषक तत्वों और खनिज पदार्थों की कमी से थायराइड के लक्षण बढ़ सकते हैं। ये पोषक तत्व विटामिन डी, आयरन, ओमेगा -3 फैटी एसिड, सेलेनियम, जस्ता, तांबा, विटामिन ए, विटामिन बी, और आयोडीन आदि हैं।

आयोडीन 

ऐसा माना जाता है कि आयोडीन की कमी से भी थायराइड होता है। सी वेजिटेबल्स और सी फ़ूड आयोडीन के मुख्य स्त्रोत हैं। अंडे, शतावरी, मशरूम, पालक, तिल के बीज, और लहसुन से भी आयोडीन प्राप्त होता है।

ओमेगा -3 

मछली में, ग्रास फेड पशु उत्पाद में, सन बीज और अखरोट में ओमेगा -3 पाया जाता है, जो कि ऐसे हारमोंस को रोकता है जिनसे इम्यून सिस्टम प्रभावित होता है और कोशिकाओं का विकास होता है। यह थायरॉयड के लिए खतरा बनने वाले हारमोंस को रोकता है ।

लस मुक्त खाना खाएं 

शरीर की आणविक संरचना में अंगों में मौजद थायरॉयड लस के अनुसार होती है इसलिए लस वाले भोजन का ज्यादा सेवन करने से थायरॉयड के ऑटो इमुनल अटैक का खतरा बढ़ जाता है। गोईट्रोजेंस के प्रति जागरूक रहें गोईट्रोजेंस वाले पदार्थों का ज्यादा सेवन करने से थायरॉयड ग्रंथि प्रभावित होती है। गोईट्रोजेंस वाले पदार्थों में ब्रोकोली, ब्रसेल्स, स्प्राउट्स, गोभी, फूलगोभी, गोभी, कोल्हाबी,शलजम, बाजरा, पालक, स्ट्रॉबेरी, आड़ू, मूंगफली, मूली, और सोयाबीन आदि शामिल हैं।

ग्लूटाथिओन 

ग्लूटाथिओन एक पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट है जो कि इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है। यह आपके शरीर को इम्यून सिस्टम को ठीक और नियंत्रित करने की क्षमता प्रदान करता है, ऑटो इम्यून के उतार- चढाव को कम करता है और साथ ही थायरॉयड ऊतको की रक्षा करता है। शतावरी, ब्रोकोली, आड़ू, नाशपाती, पालक, लहसुन, स्क्वैश, अंगूर, और कच्चे अंडे आदि में ग्लूटाथिओन की खासी मात्रा होती है।

खाद्य पदार्थों के संवेदनशील प्रभावों की जानकारी रखें जैसे हशिमोटो बीमारी में थायराइड पर शरीर का विपरीत प्रभाव। ऐसी स्थिति में शरीर उत्तेजक खाद्य पदार्थों को एक हमले की तरह लेता है जो कि ऑटो इम्यून के लिए एकदम विपरीत होता है।

आंत की जांच कराएँ 

समय पर आंत की जांच कराएँ। 20 प्रतिशत से ज्यादा थायराइड फंक्शन आंत के हेल्दी बैक्टीरिया की आपूर्ति पर निर्भर करते हैं इसलिए प्रोबायोटिक्स (बैक्टीरिया जो कि आंत के लिए अच्छा है) को सप्लीमेंट के रूप में लेना अच्छी बात है।

सूजन का ध्यान रखें 

खाने के पोषण के साथ होने वाली सूजन का ध्यान रखें। कई बार सिस्टेमेटिक सूजन और ऑटो इम्युनिटी एक साथ आकर एक दूसरे को बढाती हैं। एड्रिनल थकान का ध्यान रखें थायराइड और एड्रिनल ग्रंथि में गहरा संबंध है इसलिए एड्रिनल के कुछ लेवल्स के बिना भी हाइपोथायरायडिज्म होना असामान्य है।

न ले तनाव 

थायराइड एक संवेदनशील ग्रंथि है और इसका सीधा संबंध आपकी तनाव प्रतिक्रिया से है। थायराइड कॉलर का इस्तेमाल करें थायराइड रेडियेशन के प्रति संवेदनशील होता है इसलिए जब भी आप डेंटिस्ट के पास एक्स-रे के लिए जाएँ तो थायराइड कॉलर के लिए कहें। अपने थायराइड को यूँ ही नष्ट न होने दें।

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