July 5, 2024     Select Language
Editor Choice Hindi KT Popular धर्म

अवश्य जाने महिलाओं की कुंडली का प्रमुख योग ब्रह्मवादिनी का प्रभाव?

[kodex_post_like_buttons]
कोलकाता टाइम्स : 

हिलाओं की जन्मकुंडली में बनने वाले ब्रह्मवादिनी योग की पुरातन काल में काफी चर्चा होती थी। इस समय इस योग के बारे में स्ति्रयों की कुंडली में विचार कर लेना आवश्यक होता जा रहा है, विशेषकर विवाह के पूर्व। कई परिवारों की यह शिकायत रहती है किउनके घर की कोई स्त्री देवी-देवताओं में विश्वास नहीं रखती, पूजा-पाठ नहीं करती, देवी-देवताओं के अस्तित्व को नकारती है। इस कारण उनके बीच विवाद होते रहते हैं। घर के बुजुर्ग लोग पूजा-पाठ करने को कहते हैं और आजकल की लड़कियां पूजा नहीं करती। खैर यह तो निजी आस्था और विश्वास की बात हुई लेकिन ज्योतिष शास्त्र में इस प्रवृत्ति को जानने के लिए एक योग की चर्चा रहती है, इसे ब्रह्मवादिनी योग कहा जाता है।

ब्रह्मवादिनी योग :  जिस स्त्री की कुंडली में ब्रह्मवादिनी योग होता है वह ब्रह्म को जानने वाली होती है। अर्थात् वह देवी-देवताओं में पूर्ण आस्था और विश्वास रखती है। इसका अर्थ यह नहीं हुआ किवह कर्मकांड और व्यर्थ के आडंबर में उलझी रहती है, वरन इसका अर्थ हुआ किब्रह्मवादिनी योग वाली महिलाएं सात्विक प्रवृत्ति की, सदाचारी, न्यायप्रिय और ब्रह्म अर्थात् ईश्वर की सत्ता पर पूर्ण विश्वास रखने वाली होती है। कैसे बनता है ब्रह्मवादिनी योग

जिस स्त्री के जन्म समय में बलवान शुक्र, मंगल, बृहस्पति और बुध लग्न में बैठे हों तथा सम राशि का लग्न हो। सम राशि अर्थात् लग्न 2, 4, 6, 8, 10, 12 हो। इस प्रकार का योग हो तो वह स्त्री ब्रह्मवादिनी होती है। ऐसे स्त्री अपने शुद्ध आचरण से मोक्ष को प्राप्त होती है और जीवित अवस्था में ख्याति अर्जित करती है।

Related Posts