टिश्यू यूज के फायदे भूल जाइये, जान लीजिये इसके यह भारी मुकसान
आपको बताते चलें कि नैपकीन पेपर को बनाने में कागज का इस्तेमाल होता है. यानी पेपर बनाने के लिए पेड़ की जरूरत होती है. तो जब पेड़ को काटकर उससे कागज का निर्माण किया जाता है. तो इस प्रकार टिश्यू पेपर की बढ़ती डिमांड पेड़ों यानी हमारे पर्यावरण के लिए आफत बन रही है. साफ है कि टिश्यू पेपर की बढ़ती डिमांड से पेड़ों की कटाई में जमकर इजाफा हुआ है. इसे बनाने वाली यूनिट से पूरे वातावरण को बड़ा नुकसान पहुंच रहा है. यानी अब आपको टिस्यू पेपर देखते ही उसका मिस यूज नहीं बल्कि सही यूज करने की जरूरत है वरना पेड़ों की ताबड़तोड़ कटाई से ऑक्सीजन की कमी हो जाएगी और आने वाले दिनों में सांसों का संकट गहरा सकता है.
इसकी सबसे बड़ी खामी इसका रि-यूज न हो पाना है. दरअसल पानी में भीगने पर टिश्यू पेपर बर्बाद हो जाता है. दोबारा इसका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. ऐसे में पेड़ों को काटकर बनाया जाने वाला टिश्यू पेपर अगर बर्बाद होगा तो उसके नुकसान की भरपाई संभव नहीं है. आजकल बाजार में कई महंगे टिस्यू पेपर भी आ रहे हैं ऐसे में आपकी जेब और अपने पर्यावरण दोनों के हिसाब से इसके चलन को बढावा देना सही नहीं है. यूज होने के बाद इसका वजन बढ़ जाता है. इसे कूड़ेदान में सही जगह न फेंका जाए तो इसके ढेर से नाली जाम भी हो सकती है.
इस पेपर को अगर गलती से जला दिया जाए तो उससे भी पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. क्योंकि इसे जलाने पर जहरीली गैसें निकलती हैं जिससे आस-पास मौजूद लोगों को सांस लेने में समस्या या एलर्जी भी हो सकती है.