November 23, 2024     Select Language
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हृदय तो सांस की बीमारी जैसी परेशानियां का जिम्मेदार नहीं 

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कोलकाता टाइम्स :
हृदय रोग होने पर भी सांस की बीमारी जैसी परेशानियां आ सकती हैं. हृदयरोगी में अगर मोटापा और खून की कमी, दोनों हो तो सांस फूलने और दमा जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं. हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल ने बताया कि आम तौर पर सांस संबंधी समस्या की वजह दमा (अस्थमा) नहीं होती. मोटापा और एनीमिया दोनों की वजह से ‘एग्जर्शनल ब्रेथलेसनेस’ हो सकती है.

उन्होंने यह भी कहा कि अनियंत्रित रक्तचाप, डायस्टॉलिक हार्ट के डिस्फंक्शन और हार्ट के बढ़ जाने से भी सांस संबंधी समस्या हो सकती है. डॉ. अग्रवाल ने बताया कि अगर 40 वर्ष की उम्र के बाद जिंदगी में पहली बार किसी भी तरह की सांस संबंधी परेशानी हुई हो तो जब तक जांच होकर साबित न हो जाए, उसे हृदय संबंधी समस्या ही मानना चाहिए.

हृदय के आराम करने के फंक्शन का असंतुलित हो जाना आज एक नई महामारी के रूप में फैल रही है, इसमें हृदय की धमनियों में किसी भी तरह का ब्लॉकेज नहीं होता मगर हृदय को पर्याप्त आराम नहीं मिल पाता.

उन्होंने यह भी कहा कि हृदय के डायस्टॉलिक फंक्शन को टिश्यू डॉप्लर इको कार्डियोग्राफी परीक्षण से पता लगाया जा सकता है. साधारण इको से इसका डायग्नोसिस नहीं हो पाता है, क्योंकि इससे आमतौर पर हृदय के सिस्टॉलिक फंक्शन का पता लगता है.

हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया की शुरुआत 1986 में हुई थी. यह एक गैर सरकारी संस्था है जिसका उद्देश्य लोगों को उनके जीवन के हर कदम पर स्वास्थ्य के संबंध में जागरूक करना है और देश की स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए उपाय करने में सहयोग देना है.

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