अकेलेपन का इलाज करने इन इंसानों बना रहा मशीन
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कोलकाता टाइम्स :
अभी तक केवल ‘साइंस फिक्शन’ (वैज्ञानिक काल्पनिक कहानियों) में नजर आने वाले ये वर्चुअल इंसान चल सकते हैं, बात कर सकते हैं और आपके सोफे पर बैठ सकते हैं. वह दिन दूर नहीं, जब हमारे सबसे अच्छे मित्रों में कम्प्यूटर जनित इंसान भी शामिल होंगे, क्योंकि बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं, जो बढ़ती उम्र के साथ अकेलेपन की समस्या से निपटने की कोशिश कर रहे हैं.
विकसित होती प्रौद्योगिकी के बीच हमारी बदलती जनसांख्यिकी हमें इन वर्चुअल मनुष्यों की ओर ले जा सकती है. एशिया, यूरोप और उत्तर अमेरिका में कई ऐसे विकसित देश हैं, जिनके समाज की औसत आयु तेजी से बढ़ रही है. उदाहरण के लिए, 2066 तक ऑस्ट्रेलिया की कुल आबादी के करीब पांचवें हिस्से की उम्र 65 वर्ष या उससे अधिक हो जाने का अनुमान है.
यह बड़ी सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां पैदा करता है. इसके कारण कुशल कार्यबल में कमी आने और स्वास्थ्य एवं सामाजिक सेवाओं पर अप्रत्याशित दबाव पड़ने की समस्या पैदा हो सकती है, जिनके समाधान की आश्यकता है. बुजुर्ग होती आबादी की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक समस्या सामाजिक स्तर पर अलग-थलग हो जाना है. अधिकतर बुजुर्ग लोग या तो वृद्धाश्रमों में रहते हैं या अपने घरों में रहते हैं, लेकिन उनका अपने परिजन या मित्रों से सामाजिक संवाद बहुत कम होता है.
वर्चुअल इंसान इस समस्या को कम करने में मदद कर सकता है. वर्चुअल इंसान कम्प्यूटर जनित मनुष्य होता है, जिसे आपके घर की बैठक समेत भौतिक दुनिया में रखा जा सकता है. यह एक अनूठा साथी है, क्योंकि यह भौतिक दुनिया में सहजता से घुलमिल जाता है. आपको यह कंप्यूटर-जनित मानव एक असल मनुष्य की तरह दिखाई देता है और यह वास्तविक एवं वर्चुअल दुनिया के बीच की सीमाओं को तोड़ रहा है.