June 24, 2024     Select Language
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यूक्रेन की युद्ध के बीच इस मुल्क ने दिया बड़ा टेंशन 

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कोलकाता टाइम्स : 
यूक्रेन युद्ध ड्रोन का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुआ है. दोनों तरफ से जमकर ड्रोन हमले किए गए हैं.  हालाँकि, अब ड्रोन की स्पलाई को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. दरअसर चीन ने ड्रोन निर्यात पर नए प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है. बीबीस की रिपोर्ट के मुताबिक युद्द में इस्तेमाल होने वाले अधिकतर ड्रोन व्यावसायिक रूप से चीन में बनाए गए हैं. लड़ाई में बड़ी संख्या में ड्रोन खत्म हो चुके हैं ऐसे में नई सप्लाई की जरुरत है. लेकिन ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि यूक्रेन और रूस दोनों को चीनी ड्रोन और इसके पार्ट्स की कमी का सामना करना पड़ रहा है.

लंदन स्थित थिंक टैंक रॉयल यूनाइटेड सर्विसेज इंस्टीट्यूट (रूसी) के अनुसार, यूक्रेन को हर महीने लगभग 10,000 ड्रोन का नुकसान हो रहा है. यूक्रेनी सेना को अपनी सप्लाई बहाल करने में मदद करने के लिए दान पैसे का उपयोग करने में कई स्वयंसेवी समूहों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

चीनी सरकार द्वारा लगाए गए नवीनतम प्रतिबंध 1 सितंबर को लागू हुए. ये प्रतिबंध 4 किलोग्राम से अधिक वजन वाले लंबी दूरी के ड्रोन के साथ-साथ कुछ कैमरों और रेडियो मॉड्यूल जैसे ड्रोन से संबंधित उपकरणों पर भी लागू होते हैं.

ऐसे इक्विपमेंट्स के चीनी उत्पादकों को अब एक्सपोर्ट लाइसेंस के लिए आवेदन करना होगा और एंड-यूजर्स सर्टिफिकेट देना होगा. वहीं बीजिंग में सरकार का कहना है कि वाणिज्यिक चीनी ड्रोन का उपयोग सैन्य उद्देश्यों के लिए नहीं किया जाना चाहिए. बता दें चीनी सरकार ने यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा नहीं की है.

यूक्रेनी वॉलंटियर्स और सैनिकों का कहना है कि लेटेस्ट चीनी प्रतिबंधों का अब तक ड्रोन की उपलब्धता पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है. हालांकि, उनका कहना है कि पार्ट्स की सप्लाई प्रभावित हुई है और उन्हें यह भी डर है कि भविष्य में स्थिति और खराब हो सकती है.

सेना को ड्रोन सप्लाई करने वाले सबसे बड़े यूक्रेनी स्वयंसेवी ग्रुप में से एक, डिग्निटास की चीफ ल्यूबा शिपोविच कहती हैं, ‘अभी के लिए एकमात्र बदलाव यह है कि हम यूरोपीय गोदामों में जो भी स्टॉक बचा है उसे ज्यादा से ज्यादा खरीद रहे हैं लेकिन भविष्य में हम क्या करेंगे यह स्पष्ट नहीं है.’  वह विशेष रूप से थर्मल इमेजिंग कैमरे जैसे पार्ट्स की उपलब्धता को लेकर चिंतित है.

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